प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में बीएचयू वाराणसी से लापता छात्र के मामले की जांच कर रही सीबीसीआईडी ने रिपोर्ट पेश कर छात्र की मौत की जानकारी दी. विवेचना अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि छात्र मानसिक रूप से बीमार था. उसका इलाज चल रहा था. लंका थाने लाया गया था, उसी दिन रात में निकला और तीसरे दिन ही एक तालाब के पास लावारिस लाश बरामद हुई थी. उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था. फोटो के आधार पर पिता ने पहचाना और डीएनए टेस्ट कराया गया तो लावारिस लाश का पता चला जो कि उस छात्र की ही थी.
अधिवक्ता सौरभ तिवारी की तरफ से दाखिल याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने विवेचना अधिकारी को डीएनए रिपोर्ट हलफनामे के साथ दाखिल करने का निर्देश दिया है. याची को भी सरकारी हलफनामे का जवाब दाखिल करने का समय दिया है. याचिका की सुनवाई जुलाई 22 में होगी.
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वहीं, राज्य सरकार की तरफ से अपर शासकीय अधिवक्ता मोहम्मद मुर्तजा ने बताया कि पुलिस अभिरक्षा में मौत का आरोप बेबुनियाद है. छात्र शिव कुमार त्रिवेदी मारपीट के कारण नहीं मरा बल्कि उसने स्वयं आत्महत्या की है. हालांकि पुलिस पर कार्रवाई भी की गई थी. याची ने सरकार की जानकारी को सही न मानते हुए आपत्ति की. दरअसल 13-14 फरवरी की रात लंका थाना पुलिस छात्र को पकड़कर थाने ले आई. उसके बाद से वह लापता था. सरकार की तरफ से कहा गया कि छात्र विक्षिप्त था. थाने से चला गया था. जब कोर्ट ने थाने की फुटेज की बात की तो बताया कि सीसीटीवी कैमरा खराब था. इसके बाद पुलिस पर थाने में लाकर मारपीट कर गायब करने की आशंका को लेकर याचिका दायर की गई है. कोर्ट के कड़े रुख वह अधिकारियों को तलब कर फटकार के बाद जांच सीबीसीआईडी को सौंप दी गई थी जिसने लापता छात्र की मौत होने की जानकारी दी.
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