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आजाद पार्क से अतिक्रमण हटाने का मामला: हाईकोर्ट ने अधिकारियों को लगाई फटकार

इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को आजाद पार्क (कंपनी बाग) से अतिक्रमण हटाने के मामले को लेकर सुनवाई हुई. मामले में अधिकारियों द्वारा जवाबदेही से बचने व जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए जिले के सभी जिम्मेदार आला अधिकारियों को रिकॉर्ड के साथ 5 अक्टूबर को मामले में सुनवाई लिए तलब किया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Oct 1, 2021, 11:05 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजाद पार्क (कंपनी बाग) प्रयागराज से अतिक्रमण हटाने के फैसले का पालन करने के मामले में अधिकारियों द्वारा जवाबदेही से बचने व जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि जब भी सवाल पूछा जाता है, तो दस्तावेज पेश करने के लिए समय की मांग की जाती हैं. ऐसे में याचिका पर फैसला नहीं लिया जा सकता.

हाईकोर्ट ने उद्यान अधीक्षक व प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से किसी भी प्रकार का सहयोग न मिलने पर जिले के जिम्मेदार सभी अधिकारियों को दस्तावेज के साथ 5 अक्टूबर को पेश होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि प्रयागराज के मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, राजकीय उद्यान अधीक्षक, वानिकी विभाग प्रयागराज के उप निदेशक एवं प्रयागराज विकास प्राधिकरण के सचिव अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में रिकॉर्ड सहित हाजिर हो.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जितेन्द्र सिंह बिसेन व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता प्रभाष पांडेय ने बहस की. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के अरुण कुमार व इलाहाबाद लेडीज क्लब केस में दिये गये निर्देश के तहत आजाद पार्क से अवैध अतिक्रमण हटाने की मांग की गई है. सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने पार्क अधीक्षक से पूछा कि 1975 के पार्क सुरक्षा संबंधी कानून के पहले व लागू होने के बाद की पार्क की संपत्ति की जानकारी दें तो उन्होंने असहाय बताया. कोर्ट ने कहा अतिक्रमण हटाने के आदेश उनके पास है. रिपोर्ट में संपत्ति चिन्हित नहीं की गई है.

इसे भी पढ़ें- सीएम ऑफिस के रियलिटी चेक में कई जिलों में गैरहाजिर मिले डीएम कप्तान, नोटिस जारी

पीडीए ने कहा कि वह सरकार द्वारा दी गई जमीन पर ही विकास करती हैं. जमीन सरकार की है. पार्क की सुरक्षा की जिम्मेदारी अधीक्षक के पास है. प्राधिकरण को क्षेत्राधिकार नहीं है. पार्क वानिकी विभाग के अधीन है. जब सरकार पीडीए को पार्क देगी तभी वह विकास करेगी. वहीं जब कोर्ट ने इसके संबंध में दस्तावेज मांगे तो पेश‌ करने के लिए समय मांगा गया. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा- जब सवाल पूछा जाता है तो समय की मांग की जाती है, इससे सुनवाई नहीं हो सकती. याचिका की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजाद पार्क (कंपनी बाग) प्रयागराज से अतिक्रमण हटाने के फैसले का पालन करने के मामले में अधिकारियों द्वारा जवाबदेही से बचने व जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि जब भी सवाल पूछा जाता है, तो दस्तावेज पेश करने के लिए समय की मांग की जाती हैं. ऐसे में याचिका पर फैसला नहीं लिया जा सकता.

हाईकोर्ट ने उद्यान अधीक्षक व प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अधिकारियों से किसी भी प्रकार का सहयोग न मिलने पर जिले के जिम्मेदार सभी अधिकारियों को दस्तावेज के साथ 5 अक्टूबर को पेश होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि प्रयागराज के मंडलायुक्त, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, राजकीय उद्यान अधीक्षक, वानिकी विभाग प्रयागराज के उप निदेशक एवं प्रयागराज विकास प्राधिकरण के सचिव अगली सुनवाई के दौरान कोर्ट में रिकॉर्ड सहित हाजिर हो.

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जितेन्द्र सिंह बिसेन व अन्य की जनहित याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता प्रभाष पांडेय ने बहस की. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के अरुण कुमार व इलाहाबाद लेडीज क्लब केस में दिये गये निर्देश के तहत आजाद पार्क से अवैध अतिक्रमण हटाने की मांग की गई है. सुनवाई के दौरान जब कोर्ट ने पार्क अधीक्षक से पूछा कि 1975 के पार्क सुरक्षा संबंधी कानून के पहले व लागू होने के बाद की पार्क की संपत्ति की जानकारी दें तो उन्होंने असहाय बताया. कोर्ट ने कहा अतिक्रमण हटाने के आदेश उनके पास है. रिपोर्ट में संपत्ति चिन्हित नहीं की गई है.

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पीडीए ने कहा कि वह सरकार द्वारा दी गई जमीन पर ही विकास करती हैं. जमीन सरकार की है. पार्क की सुरक्षा की जिम्मेदारी अधीक्षक के पास है. प्राधिकरण को क्षेत्राधिकार नहीं है. पार्क वानिकी विभाग के अधीन है. जब सरकार पीडीए को पार्क देगी तभी वह विकास करेगी. वहीं जब कोर्ट ने इसके संबंध में दस्तावेज मांगे तो पेश‌ करने के लिए समय मांगा गया. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और कहा- जब सवाल पूछा जाता है तो समय की मांग की जाती है, इससे सुनवाई नहीं हो सकती. याचिका की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी.

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