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कोर्ट से न्याय न मिल पाने की यथोचित आशंका पर ही केस हो सकता है स्थानांतरित, पढ़ें अन्य खबरें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यदि पक्षकार को किसी अदालत से न्याय न मिल पाने की यथोचित वास्तविक आशंका है तो केस अन्य अदालत में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट
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Published : Apr 1, 2022, 10:17 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पक्षकार को किसी अदालत से न्याय न मिल पाने की यथोचित वास्तविक आशंका है तो केस अन्य अदालत में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए. इसके लिए यह साबित करना जरूरी नहीं कि अदालत से केस नहीं हटाया गया तो न्याय विफल हो जाएगा. लेकिन अनुमान, अटकलों या काल्पनिक आशंका पर केस स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. आशंका का ठोस आधार होना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि आपराधिक केस के विचारण का उद्देश्य उचित और निष्पक्ष न्याय दिलाना है. यदि विचारण निष्पक्ष स्वतंत्र नहीं होगा और पक्षपात पूर्ण होगा तो न्याय व्यवस्था दांव पर लग जायेगी. कोर्ट ने कहा कि न्याय निष्पक्षता संविधान की मूलभूत विशिष्टता है जो अपेक्षा करता है कि बिना किसी बाहरी दबाव के न्याय हो.

कोर्ट ने कहा कि पेशकार पीड़िता के अधिवक्ता का मित्र है. इतने मात्र से यह आशंका नहीं जताई जा सकती कि न्याय नहीं मिल पाएगा. कोर्ट ने कहा कि पत्रावली से इसके विपरीत तथ्य आ रहे हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने जिला न्यायाधीश हमीरपुर की अदालत में विचाराधीन आपराधिक केस को अन्य अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका खारिज कर दी. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने शैलेन्द्र कुमार प्रजापति की याचिका पर दिया गया.

याची के खिलाफ विनवार थाने में धारा 376, 452 व 506 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई जिसका केस कोर्ट में चल रहा है. याची का कहना था कि पेशकार ने पीड़िता की प्रतिपरीक्षा का अवसर समाप्त कर दिया. उसे न्याय मिल पाने की उम्मीद नहीं है. केस स्थानांतरित किया जाय.

कोर्ट ने पत्रावली देखी तो पूरा अवसर दिया गया. प्रतिपरीक्षा की अर्जी स्वीकार की गई. याची ही नहीं आया. उसे गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया. पत्रावली याची की आशंका को निराधार बता रही हैं.

इसे भी पढ़ेंः सीधे जिला जज बनने के लिए 7 साल की लगातार वकालत जरूरी, जानें और क्या हैं नियम

बार एसोसिएशन रामपुर के अध्यक्ष और महासचिव को कारण बताओ नोटिस

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बार एसोसिएशन रामपुर के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद लोधी और महासचिव कौशलेंद्र सिंह को आपराधिक अवमानना केस में कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उनसे पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए. कोर्ट ने जिला न्यायाधीश से दो अन्य आरोपियों का पता लगाकर सील कवर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. मामले की सुनवाई 20 अप्रैल को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति यूसी शर्मा की खंडपीठ ने जिला न्यायाधीश द्वारा संदर्भित आपराधिक अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर न्यायिक कार्य में अवरोध उत्पन्न करने व न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप है.

आनंद गिरी की जमानत अर्जी की सुनवाई फिर टली

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के मामले में आरोपी शिष्य आनंद गिरि की जमानत अर्जी की सुनवाई नहीं हो सकी. याची अधिवक्ता के अनुरोध पर अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी.

जमानत अर्जी की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश और संजय कुमार यादव को याची के खिलाफ आस्ट्रेलिया में दर्ज आपराधिक केस की अतिरिक्त जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने को कहा है. शिकायकर्ता अमर गिरि की ओर से भी वकालतनामा दाखिल किया गया है. वरिष्ठ अधिवक्ता विनय सरन शिकायतकर्ता की तरफ से बहस करेंगे. इनकी तरफ से एडवोकेट आलोक कुमार दुबे ने वकालतनामा दाखिल किया.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि पक्षकार को किसी अदालत से न्याय न मिल पाने की यथोचित वास्तविक आशंका है तो केस अन्य अदालत में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए. इसके लिए यह साबित करना जरूरी नहीं कि अदालत से केस नहीं हटाया गया तो न्याय विफल हो जाएगा. लेकिन अनुमान, अटकलों या काल्पनिक आशंका पर केस स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. आशंका का ठोस आधार होना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि आपराधिक केस के विचारण का उद्देश्य उचित और निष्पक्ष न्याय दिलाना है. यदि विचारण निष्पक्ष स्वतंत्र नहीं होगा और पक्षपात पूर्ण होगा तो न्याय व्यवस्था दांव पर लग जायेगी. कोर्ट ने कहा कि न्याय निष्पक्षता संविधान की मूलभूत विशिष्टता है जो अपेक्षा करता है कि बिना किसी बाहरी दबाव के न्याय हो.

कोर्ट ने कहा कि पेशकार पीड़िता के अधिवक्ता का मित्र है. इतने मात्र से यह आशंका नहीं जताई जा सकती कि न्याय नहीं मिल पाएगा. कोर्ट ने कहा कि पत्रावली से इसके विपरीत तथ्य आ रहे हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने जिला न्यायाधीश हमीरपुर की अदालत में विचाराधीन आपराधिक केस को अन्य अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका खारिज कर दी. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने शैलेन्द्र कुमार प्रजापति की याचिका पर दिया गया.

याची के खिलाफ विनवार थाने में धारा 376, 452 व 506 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई जिसका केस कोर्ट में चल रहा है. याची का कहना था कि पेशकार ने पीड़िता की प्रतिपरीक्षा का अवसर समाप्त कर दिया. उसे न्याय मिल पाने की उम्मीद नहीं है. केस स्थानांतरित किया जाय.

कोर्ट ने पत्रावली देखी तो पूरा अवसर दिया गया. प्रतिपरीक्षा की अर्जी स्वीकार की गई. याची ही नहीं आया. उसे गैर जमानती वारंट भी जारी किया गया. पत्रावली याची की आशंका को निराधार बता रही हैं.

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बार एसोसिएशन रामपुर के अध्यक्ष और महासचिव को कारण बताओ नोटिस

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बार एसोसिएशन रामपुर के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद लोधी और महासचिव कौशलेंद्र सिंह को आपराधिक अवमानना केस में कारण बताओ नोटिस जारी किया है. उनसे पूछा है कि उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए. कोर्ट ने जिला न्यायाधीश से दो अन्य आरोपियों का पता लगाकर सील कवर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. मामले की सुनवाई 20 अप्रैल को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति यूसी शर्मा की खंडपीठ ने जिला न्यायाधीश द्वारा संदर्भित आपराधिक अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर न्यायिक कार्य में अवरोध उत्पन्न करने व न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप है.

आनंद गिरी की जमानत अर्जी की सुनवाई फिर टली

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या के मामले में आरोपी शिष्य आनंद गिरि की जमानत अर्जी की सुनवाई नहीं हो सकी. याची अधिवक्ता के अनुरोध पर अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी.

जमानत अर्जी की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश और संजय कुमार यादव को याची के खिलाफ आस्ट्रेलिया में दर्ज आपराधिक केस की अतिरिक्त जानकारी के साथ हलफनामा दाखिल करने को कहा है. शिकायकर्ता अमर गिरि की ओर से भी वकालतनामा दाखिल किया गया है. वरिष्ठ अधिवक्ता विनय सरन शिकायतकर्ता की तरफ से बहस करेंगे. इनकी तरफ से एडवोकेट आलोक कुमार दुबे ने वकालतनामा दाखिल किया.

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