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अभ्यार्थियों ने दारोगा सीधी भर्ती में धांधली का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में दाखिल की याचिका

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Published : Aug 4, 2022, 10:21 PM IST

प्रदेश के अभ्यर्थियों ने दरोगा सीधी भर्ती 2020-21 में धांधली का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी है. कोर्ट ने पुलिस के आला अधिकारियों, भर्ती बोर्ड के चेयरमैन, व परीक्षा कराने वाली संस्था को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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हाईकोर्ट में चुनौती

प्रयागराज: यूपी के 18 से अधिक जिलों के अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दारोगा भर्ती, प्लाटून कमांडर पीएसी एवं अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के पदों पर सीधी भर्ती 2020- 21 के चयन में की गई धांधली व अनियमितताओं को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस याचिका पर यूपी के आला पुलिस अधिकारियों से जवाब मांगा है. उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के चेयरमैन व परीक्षा कराने वाली कार्यदायी संस्थान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एन एस एआईटी) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

यह आदेश जस्टिस शौरभ श्याम शमशेरी ने याची तनु चौधरी व कई अन्य की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अतिप्रिया गौतम का कहना था कि परीक्षा संपन्न कराने वाली कार्यदायी संस्था पहले से ही मध्य प्रदेश व उत्तराखंड राज्य में ब्लैक लिस्टेड है. कहा गया, इसी संस्था ने पहले भी वर्ष 2016-17 में दारोगा नागरिक पुलिस की परीक्षा संपन्न कराई थी और उस चयन में भी अनियमितताएं पाई गई थी. जांच के बाद संस्था के ऊपर लगाए गए अनियमितताओं के आरोप सही पाए गए थे. अधिवक्ताओं का कहना था कि संस्था के ऊपर लगे इतने गंभीर आरोपों के बावजूद राज्य सरकार ने इसी संस्था को दरोगा भर्ती 2020-21 की परीक्षा संपन्न कराने का अनुबंध कर दिया. कोर्ट से इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कराने की भी मांग की गई है.

याचिका में कहा गया है कि 24 फरवरी 2021 को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने कुल 9534 रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था. इन पदों में 9027 दरोगा सिविल पुलिस, 484 प्लाटून कमांडर पीएसी, एवं 23 अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के पद शामिल हैं. जारी विज्ञापन के अनुसार चयन में ऑनलाइन लिखित परीक्षा, अभिलेखों की समीक्षा एवं शारीरिक मानक परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा का प्रावधान था. ऑनलाइन लिखित परीक्षा 12 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 तक 3 चरणों में उत्तर प्रदेश के 13 जनपदों में कुल 92 परीक्षा केंद्रों पर तीन पालियों में आयोजित की गई थी. कोर्ट को बताया गया कि सभी याची ऑनलाइन लिखित परीक्षा में पास होने के बाद शारीरिक मानक परीक्षा में उच्चरण हो गए थे.

यह भी पढे़ं:UPPCS Pre Result 2021: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द किया पीसीएस प्री 2021 का परिणाम

अधिवक्ता ने बताया कि सभी याची अगला टेस्ट पीटी में सम्मिलित होने के लिए मई 2022 में भर्ती केंद्र पर उपस्थित हुए. परंतु वहां पर उनका साक्षात्कार लिया जाने लगा और पूछा गया कि उन्हें लिखित परीक्षा में ज्यादा अंक कैसे मिले और कम समय में उन्होंने 160 प्रश्न कैसे हल कर लिए. आरोप है कि भर्ती केंद्र पर याचियों के साथ गाली गलौज करउन्हें धमकाया गया. बाद में उनके ही खिलाफ उसी दिन विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया गया. जमानत पर छूटने के बाद याची अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. उन्हें शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल कर आगे चयन की कार्यवाही पूरी करने की मांग की गई है. हाईकोर्ट ने याचिका को विचारणीय मानते हुए सभी विपक्षियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिका पर सुनवाई के लिए 6 सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है.

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प्रयागराज: यूपी के 18 से अधिक जिलों के अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दारोगा भर्ती, प्लाटून कमांडर पीएसी एवं अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के पदों पर सीधी भर्ती 2020- 21 के चयन में की गई धांधली व अनियमितताओं को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस याचिका पर यूपी के आला पुलिस अधिकारियों से जवाब मांगा है. उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड के चेयरमैन व परीक्षा कराने वाली कार्यदायी संस्थान नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एन एस एआईटी) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

यह आदेश जस्टिस शौरभ श्याम शमशेरी ने याची तनु चौधरी व कई अन्य की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याची के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम एवं अतिप्रिया गौतम का कहना था कि परीक्षा संपन्न कराने वाली कार्यदायी संस्था पहले से ही मध्य प्रदेश व उत्तराखंड राज्य में ब्लैक लिस्टेड है. कहा गया, इसी संस्था ने पहले भी वर्ष 2016-17 में दारोगा नागरिक पुलिस की परीक्षा संपन्न कराई थी और उस चयन में भी अनियमितताएं पाई गई थी. जांच के बाद संस्था के ऊपर लगाए गए अनियमितताओं के आरोप सही पाए गए थे. अधिवक्ताओं का कहना था कि संस्था के ऊपर लगे इतने गंभीर आरोपों के बावजूद राज्य सरकार ने इसी संस्था को दरोगा भर्ती 2020-21 की परीक्षा संपन्न कराने का अनुबंध कर दिया. कोर्ट से इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कराने की भी मांग की गई है.

याचिका में कहा गया है कि 24 फरवरी 2021 को उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने कुल 9534 रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था. इन पदों में 9027 दरोगा सिविल पुलिस, 484 प्लाटून कमांडर पीएसी, एवं 23 अग्निशमन द्वितीय अधिकारी के पद शामिल हैं. जारी विज्ञापन के अनुसार चयन में ऑनलाइन लिखित परीक्षा, अभिलेखों की समीक्षा एवं शारीरिक मानक परीक्षा, शारीरिक दक्षता परीक्षा का प्रावधान था. ऑनलाइन लिखित परीक्षा 12 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 तक 3 चरणों में उत्तर प्रदेश के 13 जनपदों में कुल 92 परीक्षा केंद्रों पर तीन पालियों में आयोजित की गई थी. कोर्ट को बताया गया कि सभी याची ऑनलाइन लिखित परीक्षा में पास होने के बाद शारीरिक मानक परीक्षा में उच्चरण हो गए थे.

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अधिवक्ता ने बताया कि सभी याची अगला टेस्ट पीटी में सम्मिलित होने के लिए मई 2022 में भर्ती केंद्र पर उपस्थित हुए. परंतु वहां पर उनका साक्षात्कार लिया जाने लगा और पूछा गया कि उन्हें लिखित परीक्षा में ज्यादा अंक कैसे मिले और कम समय में उन्होंने 160 प्रश्न कैसे हल कर लिए. आरोप है कि भर्ती केंद्र पर याचियों के साथ गाली गलौज करउन्हें धमकाया गया. बाद में उनके ही खिलाफ उसी दिन विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया गया. जमानत पर छूटने के बाद याची अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. उन्हें शारीरिक दक्षता परीक्षा में शामिल कर आगे चयन की कार्यवाही पूरी करने की मांग की गई है. हाईकोर्ट ने याचिका को विचारणीय मानते हुए सभी विपक्षियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिका पर सुनवाई के लिए 6 सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है.

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