प्रयागराज : मौत के बाद शरीर का देहदान भारत में पारंपरिक प्रथा नहीं है. सभी धर्मों में शवों की अत्येष्टि के अपने-अपने तरीके हैं. मगर अवेयरनेस के बाद मौत के बाद नेत्रदान और देहदान करने वालों की तादाद बढ़ी है. इसका फायदा मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स को मिलता है. भारत में कुल 595 मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें से 302 सरकारी मेडिकल कॉलेज, 3 सेंट्रल यूनिवर्सिटी एवं 19 एम्स मेडिकल इंस्टिट्यूट हैं. यहां पढ़ने वाले एबीबीएस के स्टूडेंट दान में मिले शवों के माध्यम से मानव शरीर और अंगों के बारे में स्टडी करते हैं और डॉक्टर बनते हैं. क्या आप जानते हैं कि देहदान में मिले शवों की चीर-फाड़ से पहले उसका सम्मान किया जाता है और मरने वाले की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है.
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में 650 लोग कर चुके हैं देहदान : प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (MLN medical College) में देहदान करने वालों की तादाद बढ़ी है. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एस पी सिंह ने बताया कि अभी तक एमएलएन मेडिकल कॉलेज को देहदान के जरिये 77 शरीर प्राप्त हो चुके हैं. कुल 650 से अधिक लोगों ने देहदान के लिए आवेदन कर रखा है. उन्होंने बताया कि पहले देहदान करने वालों की संख्या काफी कम थी. अब समाज के पढ़े लिखे जागरूक लोग जीते जी अपना देहदान कर रहे हैं. देहदान करने के लिए लोग मेडिकल कॉलेज में संपर्क कर एक फॉर्म भरकर देते हैं (Body donation process in medical college ). जिसके बाद उस व्यक्ति की मौत की जानकारी मिलते ही डॉक्टरो की टीम उसके घर जाती है और पूरे मान सम्मान के साथ शव को लेकर मेडिकल कॉलेज वापस आती हैं. देहदान करने वाले की बॉडी को मौत के बाद तय समय सीमा के अंदर शव को मेडिकल कॉलेज लाया जाता है. कई बार मरने वाले की आंख से किसी नेत्रहीन के जीवन में रोशनी भी आ जाती है.
देहदान करने वालों को दिया जाता है दधीचि सम्मान : मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (Motilal Nehru Medical college) के प्रिंसिपल डॉ एस पी सिंह ने बताया कि देहदान करने वाले परिवार को प्रमाणपत्र और दधीचि सम्मान भी दिया जाता है.इसी तरह से नेत्रदान करने वालों को भी मेडिकल कॉलेज की तरफ से हर साल कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें भी सम्मानित किया जाता है. अभी तक एमएलएन मेडिकल कॉलेज को देहदान के जरिये 77 शरीर प्राप्त हो चुके हैं.जबकि कुल 650 से अधिक लोगों ने देहदान के लिए आवेदन कर दिया है.
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