प्रयागराज : 1 जनवरी 2021 को पूरे देश ने नववर्ष को मनाया. लोगों ने एक दूसरे को नववर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं दी. लेकिन इसी बीच एक ऐसा सच भी सामने आया है जो सोचने पर मजबूर करने वाला है. कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके परिवार के सभी सदस्यों का जन्मदिन 1 जनवरी ही है. यही नहीं एक ऐसा गांव भी है जहां की 75 प्रतिशत आबादी का जन्म तारीख एक जनवरी ही है. हैरानी की बात तो ये है कि उस परिवार और गांव के लोगों को इस बात का पता भी नहीं है, कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार उनके परिवार के सभी सदस्यों का जन्म 1 जनवरी को ही हुआ है. लेकिन ये सोचने पर मजबूर करने वाला था कि आखिर ये कैसे हो सकता है कि सभी का जन्म तारीख एक जनवरी ही हो. इस हकीकत से जब पर्दा उठा तो सच्चाई जानकर सभी दंग रह गए.
घर के पूरे सदस्यों की जन्म तारीख एक जनवरी
दरअसल, कुछ इसी तरह का हाल है बारा तहसील के अंतर्गत आने वाले लगभग 150 ग्राम सभाओं की. जिसके अंतर्गत निवास करने वाले 80% निवासियों के आधार कार्ड पर दर्शाई गई जन्मतिथि के अनुसार वे सभी 1 जनवरी को ही पैदा हुए थे. आप को बता दें कि इन गांवों में रहने वाले एक ही परिवार के सास-ससुर, सास-बहू, पिता-पुत्र, मां-बेटी, पोता-पोती, सब 1 जनवरी को ही पैदा हुए थे. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि आखिर ये कैसे हुआ है. तो इसका खुलासा हम कर ही देते हैं.
दरअसल, इन गावों के लोग आधार कार्ड बनवाने की होड़ में अपनी सही जन्मतिथि नहीं दर्शा सके. दूसरी तरफ एजेंट भी इस बारे में लापरवाह रहे. यही नहीं आधार कार्ड बनाने वाले एजेंटों ने क्षेत्र के ज्यादातर निवासियों के आधार कार्डो पर 1 जनवरी को ही जन्मतिथि के रूप में दर्शाया दिया. जिसके कारण आज इन गांवों में रहने वाले ज्यादातर लोगों का जन्मदिन एक जनवरी ही है.
गांव की 75% आबादी की जन्मतिथि एक जनवरी
आप को बता दें कि घूरपुर थाना क्षेत्र के भडिलवा गांव के रहने वाले ज्यादातर लोगों की जन्मतिथि उनके आधार कार्ड पर 1 जनवरी ही दर्शाई गई है. अगर देखा जाए तो भडिलवा ग्राम सभा की 75% आबादी का जन्म आधार कार्ड के अनुसार 1 जनवरी को ही हुआ है. गांव के ही रहने वाले उमाशंकर कुशवाहा के द्वारा बताया गया कि आधार कार्ड बनवाते समय एजेंटों के द्वारा उनसे केवल उम्र पूछी गई थी. और उसी के आधार पर एजेंटों ने उनके आधार कार्ड पर जन्मतिथि 1 जनवरी दर्ज कर दिया. इस गांव की नीलम कुशवाहा के द्वारा भी बताया गया कि उनकी व उनके पति की जन्मतिथि आधार कार्ड पर 1 जनवरी ही है. लोगों का कहना था कि उस वक्त उन्हें इस बारे में कुछ ज्यादा नहीं पता था. दूसरी तरफ इस बारे में एजेंटों ने भी उन्हें नहीं समझाया. अब सर्टिफिकेट और आधार कार्ड में जन्म तारीख अलग-अलग होने से गांव के युवकों के साथ-साथ लोगों को भी काफी परेशानी हो रही है.
एजेंटों की लापरवाही से हो रही परेशानी
बिना सोचे-समझे किए गए एजेंटों की इस करतूत से पूरे गांव के युवा आज परेशान हैं. उन्हें अब अपनी तारीख सुधरवाने में पापड़ बेलने पड़ रह रहे हैं. आधार कार्ड बनवाते समय अगर एजेंट इस बात की गंभीरता को समझे होते तो आज गांव के लोगों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता.