प्रयागराजः पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका लगा है. उनके मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट रामपुर द्वारा अधिग्रहीत 12.50 एकड़ जमीन को राज्य में निहित करने के एडीएम वित्त के आदेश को हाईकोर्ट ने सही करार दिया है. एसडीएम की रिपोर्ट और एडीएम के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी है.
कोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना जिलाधिकारी की अनुमति के अवैध रूप से ली गई है. अधिग्रहण शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण के बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया. गांव सभा की सार्वजनिक उपयोग की चक रोड जमीन और नदी किनारे की सरकारी जमीन ले ली गई. किसानों से जबरन बैनामा लिया गया. जिसमें 26 किसानों ने ट्र्स्ट के अध्यक्ष पूर्व मंत्री आजम खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई.
कोर्ट ने कहा निर्माण पांच साल में होना था. जिसकी वार्षिक नहीं दी गई. कानूनी उपबंधों और शर्तों का उल्लंघन करने के आधार पर जमीन राज्य में निहित करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. ये आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है.
याचिका पर अधिवक्ता एसएसए काजमी, अपर महाधिवक्ता अजीत कुमार सिंह और अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव ने बहस की. याची का कहना था कि ट्रस्ट के अध्यक्ष मोहम्मद आजम खान, सचिव डॉक्टर ताजीन फातिमा, सदस्य अब्दुल्ला आजम खान 26 फरवरी 2020 से सीतापुर जेल में बंद हैं. एसडीएम की रिपोर्ट एक पक्षीय है. जेल में अध्यक्ष और सचिव को नोटिस नहीं दी गई.
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सरकार की तरफ से कहा गया कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना अनुमति के ली गई. ऐसा अधिग्रहण अवैध है. गांव सभा और नदी किनारे की सार्वजनिक उपयोग की जमीन ले ली गई. शत्रु संपत्ति की जमीन भी मनमाने तरीके से ली गई. अधिग्रहण शर्तों के विपरीत विश्वविद्यालय परिसर में मस्जिद का निर्माण कराया गया. शासन की कार्रवाई नियमानुसार है. ट्रस्ट को सरकार ने शर्तों के अधीन जमीन दी थी. स्पष्ट था कि शर्तों का उल्लंघन करने पर जमीन वापस राज्य में निहित हो जाएगी.