प्रयागराजः संगम नगरी प्रयागराज में यमुना किनारे स्थित पौराणिक महत्व वाले प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर में छोटे व भड़कीले कपड़े पहनकर आने वाली महिलाओं और युवतियों के मंदिर में प्रवेश न देने का निर्देश जारी कर दिया गया है. मंदिर प्रशासन की तरफ से स्पष्ट निर्देश जारी कर दिया गया है कि मंदिर में महिलाएं तन ढकने वाले कपड़े पहनकर ही मंदिर के अंदर भगवान का दर्शन करने आएं. यही नहीं मंदिर में कटे, फटे और डैमेज जीन्स के पहनकर आने पर भी पाबंदी लगायी गयी है.
इसी के साथ पुरुषों से शालीन कपड़े में मंदिर में आने की अपील की गयी है. पुरुषों से भी हाफ पैंट पहनकर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश न करने की अपील की गयी है. इसी के साथ चोरी और छिनैती की घटनाएं रोकने के लिए मंदिर में ज्यादा किमती जेवर न पहनकर आने की भी अपील की गयी है. मंदिर प्रशासन के इस फैसले का महिला और पुरुष भक्तों में एक स्वर से स्वागत किया है और अन्य मंदिरों में भी इसे लागू करने की मांग की है.
मनकामेश्वर मंदिर में ड्रेस कोड लागू किया गया
मध्य प्रदेश के उज्जैन महाकाल मंदिर में गर्भगृह के अंदर जाने के लिए जिस तरह से पुरुषों के लिए धोती और महिलाओं के लिए साड़ी की अनिवार्यता है. उसी तरह से प्रयागराज के मनकामेश्वर मंदिर में भी महिलाओं के लिए ड्रेस कोड जारी कर दिया गया है. हालांकि इस मंदिर में महाकाल मंदिर की तरह महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुषों के लिए धोती की अनिवार्यता नहीं की गयी है, बल्कि महिलाओं और युवतियों से पारंपरिक वेशभूषा पहनने और शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनकर मंदिर में आने की अपील की गयी है.
मंदिर प्रशासन की तरफ से जारी की गयी अपील के मुताबिक, मंदिर में आने वाली महिला भक्तों से पारंपरिक वेशभूषा में मंदिर में आने की अपील की गयी है. मंदिर के प्रबंधक श्रीधरानंद ब्रह्मचारी का कहना है कि मंदिर में दर्शन करने आने वाली महिलाओं से तन ढकने वाले शालीन कपड़ों को पहनकर मंदिर में दर्शन करने आने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि भड़काऊ और छोटे कपड़ों में मंदिर में दर्शन करने आना संस्कृति और परंपरा के विपरीत है. सनातन धर्म को मानने वालों को मंदिर में शालीन कपड़ों में आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि इन दिनों अंग प्रदर्शन की होड़ मची हुई है ऐसे में पश्चिमी सभ्यता के बढ़ते चलन को रोकने के लिए भी यह एक अच्छी पहल की गयी है. इसीलिए मंदिर प्रशासन की तरफ से महिला हो या पुरुष सभी शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनकर मंदिर में दर्शन करने आने की अपील की गयी है. इसके साथ ही श्रीधरानंद ब्रह्मचारी ने यह भी कहाकि मंदिर परिसर और बाहर बढ़ती चोरी छिनैती की घटनाओं को रोकने के लिए मंदिर में दर्शन करने आने वालों से अपील की गयी है कि कीमती और ज्यादा मंहगे जेवर पहनकर मंदिर में दर्शन करने आने से श्रद्धालु बचें.
मंदिर के महंत श्रीधरानंद महाराज ने अन्य मंदिरों में भी ड्रेस कोड लागू करने की मांग की
मनकामेश्वर मंदिर के महंत श्रीधरानंद महाराज का कहना है कि इन दिनों मंदिर में दर्शन करने आने वाली बहन बेटियां मनचाहे कपड़े पहन कर पूजा के लिए मंदिर आने लगी हैं, जिससे अन्य लोगों का जहां एक ओर ध्यान भंग होता है. वहीं, उनकी पूजा भी बाधित होती है. यही नहीं पश्चिमी सभ्यता के बढ़ते चलन की वजह से ही आज देश में लव जिहाद जैसी घटनाएं भी बढ़ रही हैं. जिसके लिए इस चलन पर रोक लगाना बेहद जरूरी था.
इसके साथ ही मंदिर प्रशासन की ओर से जारी की गई गाइडलाइन में मंदिर परिसर में सेल्फी लेने और फोटो खींचने पर भी पाबंदी लगाने का निर्देश दिया गया है. श्रद्धालुओं ने मंदिर प्रशासन के फैसले का स्वागत किया. वहीं, मंदिर के महंत ने अन्य मंदिरों में भी इसी तरह से ड्रेस कोड लागू करने की मांग भी की है. उनका कहना है कि सभी मंदिरों में दर्शन करने के लिए भारतीय कपड़े तय किये जाएं, जिससे मंदिरों में अंग प्रदर्शन और फूहड़ता पर रोक लगायी जा सके.
मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने का भक्तों ने किया स्वागत
यमुना तट पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर में ड्रेस कोड लागू करने के फैसले का श्रद्धालुओं ने एक स्वर से स्वागत किया है. महिला श्रद्धालुओं का भी यही कहना है कि मंदिर धार्मिक स्थल है, वहां पर अंग प्रदर्शन करने वाले कपड़े पहनकर नहीं आना चाहिए. मंदिर प्रशासन को इस तरह का फैसला पहले ही कर लेना चाहिए था. यही नहीं मंदिर में दर्शन करने पहुंची महिला श्रद्धालु जूही का कहना है कि इस तरह का ड्रेस कोड हार्य मंदिर में लागू होना चाहिए. मंदिरों में दर्शन करने के लिए भारतीय वेशभूषा को पहनकर ही जाना अनिवार्य कर देना चाहिए.
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