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अध्यापकों से मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम लेने पर रोक, हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब - इलाहाबाद हाईकोर्ट न्यूज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीनियर बेसिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों को बूथ लेबल अधिकारी के रूप में तैनात करने पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. ये आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने अंकित शर्मा व 13 अन्य अध्यापकों की याचिका पर दिया है.

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अध्यापकों से मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम लेने पर रोक
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Published : Mar 27, 2022, 10:23 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीनियर बेसिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों को बूथ लेबल अधिकारी के रूप में तैनात करने पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने अंकित शर्मा व 13 अन्य अध्यापकों की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 की धारा 27 के अनुसार अध्यापकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जाएगा. कुछ अपवाद हैं जैसे जनगणना, आपदा राहत, स्थानीय निकाय, विधान सभा, लोकसभा चुनाव की ड्यूटी में लगाया जा सकता है.

यह भी पढ़ें- इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलसचिव अवमानना के दोषी करार, कोर्ट ने मांगी सफाई

याची का कहना है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य चुनाव कार्य में शामिल नहीं है. मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए बूथ लेबल अधिकारी के रूप में तैनात करना अवैध है. साथ ही सुनीता शर्मा केस के फैसले का खुला उल्लंघन है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और सरकार से जवाब तलब किया है. याचिका की सुनवाई पांच हफ्ते बाद होगी.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीनियर बेसिक स्कूलों के सहायक अध्यापकों को बूथ लेबल अधिकारी के रूप में तैनात करने पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने अंकित शर्मा व 13 अन्य अध्यापकों की याचिका पर दिया है.

याची का कहना है कि अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 की धारा 27 के अनुसार अध्यापकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जाएगा. कुछ अपवाद हैं जैसे जनगणना, आपदा राहत, स्थानीय निकाय, विधान सभा, लोकसभा चुनाव की ड्यूटी में लगाया जा सकता है.

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याची का कहना है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण का कार्य चुनाव कार्य में शामिल नहीं है. मतदाता सूची पुनरीक्षण के लिए बूथ लेबल अधिकारी के रूप में तैनात करना अवैध है. साथ ही सुनीता शर्मा केस के फैसले का खुला उल्लंघन है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और सरकार से जवाब तलब किया है. याचिका की सुनवाई पांच हफ्ते बाद होगी.

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