प्रयागराज: सनातन वैदिक धर्म संस्कृति में मनुष्यों के रहन सहन के साथ ही उनके खान पान के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है. श्रीमद्भागवत गीता जैसे महाग्रंथ में भी खान पान की जानकारी 17 वें अध्याय में विस्तार से दी गई है. अब इलाहाबाद सेंट्रल विवि के विद्यार्थी इसकी शिक्षा दी जाएगी. गीता में सनातन वैदिक परंपरा दिए गए भोजन के विवरण को 5 साल के कोर्स के अंतर्गत पढ़ाया जाएगा. जिससे विद्यार्थियों को अपना और दूसरों का भविष्य संवारने में मिलेगा. कहा जाता है जैसे भोजन खाया जाता है, उसका प्रभाव व्यक्ति के मस्तिष्क, शरीर और व्यक्तित्व पर भी पड़ता है.
श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार भोजन: इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में बीएससी, एमएससी इन फैमिली एंड कम्युनिटी साइंसेज के छात्रों के अनुसार छात्रों को गीता में लिखे भोजन के प्रसार के बारे में बताया जाएगा. विभाग की अध्यक्ष डॉ. नीतू मिश्रा ने बताया कि इस कोर्स में छात्रों को वैदिक परपंरा के अनुसार भोजन बनाने और खाने के बारे में बताया जाएगा. श्रीमद्भागवत गीता के 17वें अध्याय में खान पान के बारे में श्लोक के माध्यम से बताया गया है. अध्याय में तामसिक, राजसी और सात्विक भोजन के बारे में विस्तार से बताया गया है. तीनों प्रकार के भोजन के फायद और नुकसान के बारे में भी बताया गया है. इसीलिए भोजन के प्रकार की शिक्षा के लिए इलाहाबाद सेंट्रल विश्वविद्यालय के गृह विज्ञान विभाग में पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स लॉंच किया गया है. छात्रों को यह भी पढ़ाया जाएगा कि उन्हें किस तरह का भोजन खाने से क्या लाभ और नुकसान होगा. व्यक्ति स्वस्थ रहने के लिए क्या खाएं और क्या न खाएं.
गीता के 17वें अध्याय में है वर्णनः जिस वजह से अब श्रीमद्भागवत गीता के 17वें अध्याय में वर्णित भोजन से जुड़े श्लोकों का अर्थ बताने के साथ ही उसी के अनुसार भोजन करने की शिक्षा के बारे में छात्रों को पढ़ाया जाएगा. सात्विक भोजन में बिना किसी जीव की हत्या मिलने वाली भोजन सामग्री होती है. इससे शरीर के साथ ही मन, मस्तिष्क और व्यक्तित्व का विकास होता है. सात्विक भोजन की कैटेगरी में घी, दूध, दही, मक्खन, फल, सब्जियां, मेवा आदि आते हैं. जबकि राजसी भोजन में कड़वे, खट्टे, नमकीन, तीखे, गर्म किस्म के खाद्य पदार्थ होते हैं. जिससे शरीर में दुख सुख रोग आदि उत्पन्न होते हैं. इसी तरह से इमली, अमचूर, नींबू, लाल मिर्च, मांसाहार तामसी भोजन की कैटेगरी में आते हैं. जिसका बुरा असर शरीर के साथ ही मन मस्तिष्क पर भी पड़ता है.
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