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BEO भर्ती परीक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज - कोविड-19

खंड शिक्षा अधिकारी भर्ती परीक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति वीके बिड़ला की खंडपीठ ने सुनवाई की. सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने जनहित याचिका खारिज कर दी.

हाईकोर्ट
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Published : Aug 14, 2020, 12:07 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खंड शिक्षा अधिकारी भर्ती की प्रारम्भिक परीक्षा स्थगित कराने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि परीक्षा के खिलाफ किसी प्रतियोगी छात्र को कोर्ट आना चाहिए. याची संगठन को जनहित याचिका में परीक्षा आयोजित करने को चुनौती देने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है.

दरअसल 16 अगस्त को प्रदेश के 22 जिलों में उप्र लोकसेवा आयोग खंड शिक्षा अधिकारी भर्ती की प्रारम्भिक परीक्षा आयोजित करने जा रहा है. इसके खिलाफ प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति और अन्य ने जनहित याचिका दाखिल की थी. गुरुवार को इस याचिका पर न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति वीके बिड़ला की खंडपीठ ने सुनवाई की.

याचिका में कोविड-19 के चलते सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन न करने पर संक्रमण फैलने की आशंका जताते हुए परीक्षा स्थगित करने की मांग की गयी थी. परीक्षा में 5 लाख 15 हजार अभ्यर्थियों के हिस्सा लेने की संभावना है. भारी संख्या में केन्द्र पर आने वाले प्रतियोगी छात्र-छात्राओं मे संक्रमण का खतरा है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तकनीकी खामियों के चलते हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खंड शिक्षा अधिकारी भर्ती की प्रारम्भिक परीक्षा स्थगित कराने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि परीक्षा के खिलाफ किसी प्रतियोगी छात्र को कोर्ट आना चाहिए. याची संगठन को जनहित याचिका में परीक्षा आयोजित करने को चुनौती देने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है.

दरअसल 16 अगस्त को प्रदेश के 22 जिलों में उप्र लोकसेवा आयोग खंड शिक्षा अधिकारी भर्ती की प्रारम्भिक परीक्षा आयोजित करने जा रहा है. इसके खिलाफ प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति और अन्य ने जनहित याचिका दाखिल की थी. गुरुवार को इस याचिका पर न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति वीके बिड़ला की खंडपीठ ने सुनवाई की.

याचिका में कोविड-19 के चलते सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन न करने पर संक्रमण फैलने की आशंका जताते हुए परीक्षा स्थगित करने की मांग की गयी थी. परीक्षा में 5 लाख 15 हजार अभ्यर्थियों के हिस्सा लेने की संभावना है. भारी संख्या में केन्द्र पर आने वाले प्रतियोगी छात्र-छात्राओं मे संक्रमण का खतरा है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तकनीकी खामियों के चलते हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया.

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