प्रयागराजः क्या विशेष अदालत एससी एसटी एफआईआर दर्ज करने की अर्जी पर पुलिस को विवेचना करने का निर्देश देने के बजाय इस्तगासा कायम कर कार्यवाही करने का अधिकार है या नहीं. इस मुद्दे पर अलग-अलग मत को देखते हुए कानूनी स्थिति स्पष्ट करने की लिए इलाहाबाद हाइकोर्ट ने खंडपीठ को संदर्भित कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश से खंडपीठ नामित करने का अनुरोध किया है. कोर्ट ने विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने नरेश कुमार बाल्मिकी की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.
याची का कहना है कि उसने धारा 156(3) में अपराध की प्राथमिकी दर्ज कर पुलिस विवेचना करने की मांग में अर्जी दाखिल की. किंतु विशेष अदालत ने पुलिस को निर्देश देने के बजाय धारा 190 में कंप्लेंट केस दर्ज कर बयान दर्ज कराने का समन जारी किया है, जिसकी वैधता को चुनौती दी गई है. उसने सोनी देवी केस के फैसले का हवाला दिया जिसमें एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जारी करने का आदेश दिया गया है.
याची ने एटा के अलीगंज थाना क्षेत्र के इंद्रजीत सिंह, अभिजीत उर्फ छोटे यादव, अखिलेश, उमेश, के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की अर्जी दी थी. विशेष अदालत ने कंप्लेंट केस दर्ज कर लिया याची ने कहा कि 12 अगस्त 2021 का यह आदेश अवैध है. यह रद्द किया जाए और एफआईआर दर्ज करने का समादेश जारी किया जाय.
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सरकारी वकील का कहना था कि विशेष अदालत को धारा 156(3)की अर्जी पर न्यायिक विवेक का इस्तेमाल करते हुए पुलिस को निर्देश देने या प्रथमदृष्टया अपराध बनने की दशा में कंप्लेंट केस दर्ज करने का अधिकार है. विशेष अदालत नियम 5 के तहत त्वरित न्याय के लिए कार्यवाही कर सकती है. यह मजिस्ट्रेट पर है कि वह क्या आदेश दे. उसके अधिकार में कटौती नहीं की जा सकती. हर केस को पुलिस विवेचना के लिए भेजना जरूरी नहीं है. कोर्ट ने सोनी देवी केस में कंप्लेंट केस नहीं करने एवं एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जारी करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने खंडपीठ को संदर्भित कर सोनी देवी केस के फैसला सही है या नहीं तय करने का अनुरोध किया है.
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