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उप्र क्रिकेट एसोसिएशन विवाद: विपक्षियों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय - प्रयागराज खबर

उप्र क्रिकेट एसोसिएशन विवाद में विपक्षियों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन दिन का समय दिया है. इस मामले में सुनवाई 7 फरवरी को होगी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Feb 3, 2022, 11:02 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन कानपुर नगर में मनमाने ढंग से 40 आजीवन सदस्यों और अयोग्य लोगों की डायरेक्टर पद पर नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर विपक्षियों ने जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय मांगा है. जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचिका 7 फरवरी को पेश करने का निर्देश दिया है.यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने एसोसिएशन के सदस्यों मनोज कुमार पुंडीर व अन्य की याचिका पर दिया है.

इस मामले में विपक्षियों का कहना था कि याचिका की प्रति उन्हें पिछले दिनों मिली है. इसलिए जवाब देने के लिए समय दिया जाय. याची का कहना है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों व लोढ़ा कमेटी की संस्तुतियों की अनदेखी की गई है. मनमाने ढंग से समानांतर बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की टीम तैयार कर ली गई है. सभी के नौ साल पूरे हो चुके थे. पहले भी डायरेक्टर रह चुके लोगों को फिर से डायरेक्टर बना लिया गया है. जो कि डायरेक्टर बनने के योग्य ही नहीं है. गैर कानूनी तरीके से मनमानी करते हुए यूपीसीए का कामकाज देख रहे हैं. नियमानुसार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का चयन नहीं किया जा रहा है. नियमों को ताक पर रखकर 40 आजीवन सदस्य भी बना लिए गए हैं.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन कानपुर नगर में मनमाने ढंग से 40 आजीवन सदस्यों और अयोग्य लोगों की डायरेक्टर पद पर नियुक्ति के खिलाफ याचिका पर विपक्षियों ने जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय मांगा है. जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचिका 7 फरवरी को पेश करने का निर्देश दिया है.यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने एसोसिएशन के सदस्यों मनोज कुमार पुंडीर व अन्य की याचिका पर दिया है.

इस मामले में विपक्षियों का कहना था कि याचिका की प्रति उन्हें पिछले दिनों मिली है. इसलिए जवाब देने के लिए समय दिया जाय. याची का कहना है कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों व लोढ़ा कमेटी की संस्तुतियों की अनदेखी की गई है. मनमाने ढंग से समानांतर बोर्ड आफ डायरेक्टर्स की टीम तैयार कर ली गई है. सभी के नौ साल पूरे हो चुके थे. पहले भी डायरेक्टर रह चुके लोगों को फिर से डायरेक्टर बना लिया गया है. जो कि डायरेक्टर बनने के योग्य ही नहीं है. गैर कानूनी तरीके से मनमानी करते हुए यूपीसीए का कामकाज देख रहे हैं. नियमानुसार बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का चयन नहीं किया जा रहा है. नियमों को ताक पर रखकर 40 आजीवन सदस्य भी बना लिए गए हैं.

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