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प्रदेश के विकास प्राधिकरणों के खिलाफ लंबित अवमानना याचिकाओं की सूची को हाईकोर्ट ने की तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश भर के विकास प्राधिकरणों के खिलाफ लंबित अवमानना याचिकाओं की सूची तलब की है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव आवास एवं नगरीय विकास को हलफनामा दाखिल कर बताने का निर्देश दिया है.

हाईकोर्ट ने तलब की
हाईकोर्ट ने तलब की
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Published : Jan 10, 2023, 11:07 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश भर के विकास प्राधिकरणों के खिलाफ लंबित अवमानना याचिकाओं की सूची तलब की है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव आवास एवं नगरीय विकास (Principal Secretary Housing and Urban Development) को हलफनामा दाखिल कर बताने का निर्देश दिया है कि किन कारणों से प्राधिकरण के अधिकारी अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं. ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई.

प्रयागराज विकास प्राधिकरण (Prayagraj Development Authority) के खिलाफ वर्ष 2012 से लंबित एक अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह लगातार देखा जा रहा है कि विकास प्राधिकरण के खिलाफ बड़ी संख्या में अवमानना याचिकाएं लंबित है. इसका यह अर्थ है कि प्राधिकरण के अधिकारी अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने इसकी पूर्व की तिथि पर प्रमुख सचिव नगरीय विकास से हाईकोर्ट में लंबित अवमानना याचिकाओं की सूची तलब की थी. इसके अनुपालन में प्रमुख सचिव की ओर से दाखिल हलफनामे में बताया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 333 अवमानना याचिका दाखिल है. जिनमें से 302 में जवाब दाखिल किया जा चुका है तथा 31 मामलों में जवाब दाखिल किए जाने की प्रक्रिया जारी है. प्रमुख सचिव द्वारा प्रस्तुत सूची में इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ खंडपीठ दोनों में लंबित याचिकाओं का ब्यौरा दिया गया था. इस पर कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इस अदालत (इलाहाबाद हाई कोर्ट) में लंबित अवमानना याचिकाओं की सूची प्रस्तुत की जाए. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई पर आवास एवं नगरीय विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी स्वयं उपस्थित रहे.

अजेय सिंह की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पड़िया (Justice Prakash Padia) ने दिया है. याची के पक्ष में वर्ष 2012 में हाईकोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को सिविल लाइंस में एक प्लॉट आवंटन के मामले में उसका पक्ष सुनकर प्रत्यावेदन निस्तारित करने का निर्देश दिया था. इस आदेश का पालन नहीं किया गया तो उन्होंने अवमानना याचिका दाखिल की. याचिका वर्ष 2012 से अब तक लंबित थी. कोर्ट के आदेश के बाद दिसंबर 2022 में उक्त आदेश का अनुपालन किया गया. अदालत का कहना था कि इससे स्पष्ट है कि प्राधिकरण के अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी.

यह भी पढ़ें- पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार की जमानत कोर्ट ने की मंजूर, जानिए क्या है मामला

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश भर के विकास प्राधिकरणों के खिलाफ लंबित अवमानना याचिकाओं की सूची तलब की है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव आवास एवं नगरीय विकास (Principal Secretary Housing and Urban Development) को हलफनामा दाखिल कर बताने का निर्देश दिया है कि किन कारणों से प्राधिकरण के अधिकारी अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं. ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई.

प्रयागराज विकास प्राधिकरण (Prayagraj Development Authority) के खिलाफ वर्ष 2012 से लंबित एक अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह लगातार देखा जा रहा है कि विकास प्राधिकरण के खिलाफ बड़ी संख्या में अवमानना याचिकाएं लंबित है. इसका यह अर्थ है कि प्राधिकरण के अधिकारी अदालत के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने इसकी पूर्व की तिथि पर प्रमुख सचिव नगरीय विकास से हाईकोर्ट में लंबित अवमानना याचिकाओं की सूची तलब की थी. इसके अनुपालन में प्रमुख सचिव की ओर से दाखिल हलफनामे में बताया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में कुल 333 अवमानना याचिका दाखिल है. जिनमें से 302 में जवाब दाखिल किया जा चुका है तथा 31 मामलों में जवाब दाखिल किए जाने की प्रक्रिया जारी है. प्रमुख सचिव द्वारा प्रस्तुत सूची में इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ खंडपीठ दोनों में लंबित याचिकाओं का ब्यौरा दिया गया था. इस पर कोर्ट ने कहा कि सिर्फ इस अदालत (इलाहाबाद हाई कोर्ट) में लंबित अवमानना याचिकाओं की सूची प्रस्तुत की जाए. साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई पर आवास एवं नगरीय विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी स्वयं उपस्थित रहे.

अजेय सिंह की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पड़िया (Justice Prakash Padia) ने दिया है. याची के पक्ष में वर्ष 2012 में हाईकोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को सिविल लाइंस में एक प्लॉट आवंटन के मामले में उसका पक्ष सुनकर प्रत्यावेदन निस्तारित करने का निर्देश दिया था. इस आदेश का पालन नहीं किया गया तो उन्होंने अवमानना याचिका दाखिल की. याचिका वर्ष 2012 से अब तक लंबित थी. कोर्ट के आदेश के बाद दिसंबर 2022 में उक्त आदेश का अनुपालन किया गया. अदालत का कहना था कि इससे स्पष्ट है कि प्राधिकरण के अधिकारी कोर्ट के आदेश का पालन करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. मामले की अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी.

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