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याचिकाओं पर अधिकारी नहीं दाखिल करते जवाब, HC ने किया मुख्य सचिव को तलब - High Court news

इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश (Chief Secretary Uttar Pradesh) को तलब किया है.

Allahabad High Court
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Published : Dec 2, 2022, 8:51 PM IST

प्रयागराज: लंबित याचिकाओं पर जवाब दाखिल न करने से नाराज इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश के मुख्य सचिव (Chief Secretary Uttar Pradesh) को तलब कर लिया है.मनीष श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायामूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की पीठ ने यह आदेश दिया.

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुआ. सरकारी वकील के पास मुकदमे की ब्रीफ तक नहीं थी. इस स्थिति पर नाराज़गी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि यह कोई अकेला मामला नहीं है, आज इस कोर्ट में चार पुराने मुकदमे लगे हैं और चारों में सरकारी वकील के पास कोई जानकारी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील इस सम्बन्ध में लाचारी जताते हैं कि अधिकारी न तो उनके पत्र का जवाब देते हैं और ना ही फोन का.

कोर्ट का कहना था कि इस समस्या को महाधिवक्ता और तमाम अधिकारियों की मौजूदगी में उठाया जा चुका है. इसके बावजूद याचिकाओं पर समय से जानकारी नहीं उपलब्ध कराई जा रही है. कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में हमारे पास सिवाय मुख्य सचिव को तलब करने के अन्य कोई विकल्प नहीं है.

इसे भी पढ़ें-अनुदेशकों को केवल एक सत्र के लिए 17 हजार मानदेय मंजूर

प्रयागराज: लंबित याचिकाओं पर जवाब दाखिल न करने से नाराज इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रदेश के मुख्य सचिव (Chief Secretary Uttar Pradesh) को तलब कर लिया है.मनीष श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायामूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की पीठ ने यह आदेश दिया.

याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कोई अधिवक्ता उपस्थित नहीं हुआ. सरकारी वकील के पास मुकदमे की ब्रीफ तक नहीं थी. इस स्थिति पर नाराज़गी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि यह कोई अकेला मामला नहीं है, आज इस कोर्ट में चार पुराने मुकदमे लगे हैं और चारों में सरकारी वकील के पास कोई जानकारी नहीं है. कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील इस सम्बन्ध में लाचारी जताते हैं कि अधिकारी न तो उनके पत्र का जवाब देते हैं और ना ही फोन का.

कोर्ट का कहना था कि इस समस्या को महाधिवक्ता और तमाम अधिकारियों की मौजूदगी में उठाया जा चुका है. इसके बावजूद याचिकाओं पर समय से जानकारी नहीं उपलब्ध कराई जा रही है. कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में हमारे पास सिवाय मुख्य सचिव को तलब करने के अन्य कोई विकल्प नहीं है.

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