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नोएडा के चीफ इंजीनियर यादव सिंह की याचिका पर CBI से जवाब तलब - prayagraj news

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा भूमि आवंटन घोटाले के आरोपी चीफ इंजीनियर यादव सिंह की बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर सीबीआई अधिवक्ता से जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 12 जून को होगी.

allahabad high court
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Jun 3, 2020, 6:18 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा भूमि आवंटन घोटाले के आरोपी चीफ इंजीनियर यादव सिंह की बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर सीबीआई अधिवक्ता से जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 12 जून को होगी. इसी दिन याचिका की ग्राह्यता पर आपत्ति की भी सुनवाई होगी. कोर्ट ने याची अधिवक्ता से याचिका की पोषणीयता पर फैसलों के साथ कानूनी पक्ष रखने को कहा है. यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र और न्यायमूर्ति राजवीर सिंह की खंडपीठ ने यादव सिंह की बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया है.

सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव ने प्रारंभिक आपत्ति की. कहा है कि रिमांड आदेश के खिलाफ चुनौती के विकल्प मौजूद हैं. ऐसे में याचिका पोषणीय नहीं है. याची अधिवक्ता विक्रम चौधरी का कहना है कि सीबीआई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अपील, वाद आदि दायर करने की मियाद निलंबित करने के अंतरिम आदेश को समझने में गलती की है.

यदि रिमांड आदेश देखने मे ही अवैध लग रहा है तो बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय होगी. लखनऊ पीठ ने याचिका यह कहते हुए वापस कर दी है कि इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ में दाखिल की जाए. कोर्ट में चार्जशीट वैधानिक अवधि में दाखिल हुई है या बाद में, इस बिन्दु पर कोर्ट ने कोई विचार नहीं किया है. इसलिए याचिका पोषणीय है. इस पर कोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा है और कहा है कि इन मुद्दों पर अगली तिथि को सुनवाई होगी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा भूमि आवंटन घोटाले के आरोपी चीफ इंजीनियर यादव सिंह की बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर सीबीआई अधिवक्ता से जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 12 जून को होगी. इसी दिन याचिका की ग्राह्यता पर आपत्ति की भी सुनवाई होगी. कोर्ट ने याची अधिवक्ता से याचिका की पोषणीयता पर फैसलों के साथ कानूनी पक्ष रखने को कहा है. यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र और न्यायमूर्ति राजवीर सिंह की खंडपीठ ने यादव सिंह की बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया है.

सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश व संजय यादव ने प्रारंभिक आपत्ति की. कहा है कि रिमांड आदेश के खिलाफ चुनौती के विकल्प मौजूद हैं. ऐसे में याचिका पोषणीय नहीं है. याची अधिवक्ता विक्रम चौधरी का कहना है कि सीबीआई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के अपील, वाद आदि दायर करने की मियाद निलंबित करने के अंतरिम आदेश को समझने में गलती की है.

यदि रिमांड आदेश देखने मे ही अवैध लग रहा है तो बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका पोषणीय होगी. लखनऊ पीठ ने याचिका यह कहते हुए वापस कर दी है कि इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ में दाखिल की जाए. कोर्ट में चार्जशीट वैधानिक अवधि में दाखिल हुई है या बाद में, इस बिन्दु पर कोर्ट ने कोई विचार नहीं किया है. इसलिए याचिका पोषणीय है. इस पर कोर्ट ने सीबीआई से जवाब मांगा है और कहा है कि इन मुद्दों पर अगली तिथि को सुनवाई होगी.

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