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उच्च शिक्षा निदेशक के रवैये पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, कहा- ऐसे अफसरों का हल निकालें वरिष्ठ आधिकारी

उच्च शिक्षा निदेशक (Director of Higher Education) के रवैये पर हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि संस्थान को हल्के में लेने वाले अफसरों का वरिष्ठ आधिकारी हल निकालें.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2023, 10:58 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अदालत के आदेश का पालन न कर महीनों तक फाइल दबाए रखने की प्रवृत्ति पर उच्च शिक्षा निदेशक पर कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा है कि वह ऐसे अफसर की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार कर इसका हल निकाले. अवमानना के मामले में तलब उच्च शिक्षा निदेशक प्रयागराज ब्रह्मदेव की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह अधिकारी अपने पद के योग्य नहीं हैं. अजय कुमार मुद्गल की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने की.

याची की पत्नी मेरठ कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत थीं. जिनकी सेवा काल में मृत्यु हो गई. याची ने पारिवारिक पेंशन और ग्रेच्युटी आदि के भुगतान के लिए आवेदन किया. लेकिन, उसे भुगतान नहीं दिया गया. कर्मचारी ने अपने जीवन काल में ग्रेच्युटी के विकल्प का चयन नहीं किया था. इस पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. पूर्व के कई न्यायिक निर्णय के आधार पर हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशालय को याची के प्रकरण पर दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. इसके बावजूद जब कोई निर्णय नहीं लिया गया तो उसने अदालत में अवमानना याचिका दाखिल की.

इसे भी पढ़े-हाई कोर्ट की टिप्पणी, फ्लैट खरीदार कब्जे में किसी भी देरी के लिए मुआवजे का दावा करने के हकदार

कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक ब्रह्मदेव को तलब कर उनसे इस बारे में जानकारी मांगी. इसपर उनका कहना था कि अपनी व्यस्तता के कारण वह याची की फाइल को आगे नहीं बढ़ा सके है. उन्होंने 10 नवंबर 2023 को याची को भुगतान करने के लिए राज्य सरकार को अपना अनुरोध भेज दिया. उनके इस जवाब पर नाराजगी जाहिर करते हुए अदालत ने कहा कि यह अदालत अधिकारी के जवाब को सुनकर सन्न है, यह अवमानना का स्पष्ट मामला है. याची जो की अदालत में ग्रेच्युटी और सेवा जनित परिलाभों के भुगतान के लिए आया था उसे न सिर्फ याचिका दाखिल करनी पड़ी बल्कि, उस पर हुए आदेश के पालन के लिए अवमानना याचिका दाखिल करने पर भी विवश होना पड़ा.

अदालत ने कहा कि यह गंभीर मामला है और राज्य के वरिष्ठ अधिकारी इस पर पुनर्विचार कर उसका हल निकालने की कोशिश करेंगे. अधिकारी इस पद के योग्य नहीं है, क्योंकि उन्होंने अदालत के आदेश की फाइल को 6 माह तक दबाए रखा, और जब अवमानना याचिका की सुनवाई का समय नजदीक आया तो, भुगतान के लिए राज्य सरकार को अनुरोध भेज दिया. कोर्ट ने विशेष सचिव उच्च शिक्षा को इस मामले में दो सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. साथ ही निदेशक उच्च शिक्षा प्रयागराज से कहा है कि वह अगली सुनवाई पर भी मौजूद रहेंगे और वह आदेश का पूरी तरह से पालन करवाना सुनिश्चित करें अन्यथा अदालत उन पर अवमानना का आरोप निर्मित करेगी.

यह भी पढ़े-हाईकोर्ट की टिप्पणी, गलत आदेश के कारण सेवा न कर पाने पर शिक्षिका संपूर्ण वेतन की हकदार

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अदालत के आदेश का पालन न कर महीनों तक फाइल दबाए रखने की प्रवृत्ति पर उच्च शिक्षा निदेशक पर कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा है कि वह ऐसे अफसर की कार्यप्रणाली पर पुनर्विचार कर इसका हल निकाले. अवमानना के मामले में तलब उच्च शिक्षा निदेशक प्रयागराज ब्रह्मदेव की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह अधिकारी अपने पद के योग्य नहीं हैं. अजय कुमार मुद्गल की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने की.

याची की पत्नी मेरठ कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत थीं. जिनकी सेवा काल में मृत्यु हो गई. याची ने पारिवारिक पेंशन और ग्रेच्युटी आदि के भुगतान के लिए आवेदन किया. लेकिन, उसे भुगतान नहीं दिया गया. कर्मचारी ने अपने जीवन काल में ग्रेच्युटी के विकल्प का चयन नहीं किया था. इस पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई. पूर्व के कई न्यायिक निर्णय के आधार पर हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशालय को याची के प्रकरण पर दो माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. इसके बावजूद जब कोई निर्णय नहीं लिया गया तो उसने अदालत में अवमानना याचिका दाखिल की.

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कोर्ट ने उच्च शिक्षा निदेशक ब्रह्मदेव को तलब कर उनसे इस बारे में जानकारी मांगी. इसपर उनका कहना था कि अपनी व्यस्तता के कारण वह याची की फाइल को आगे नहीं बढ़ा सके है. उन्होंने 10 नवंबर 2023 को याची को भुगतान करने के लिए राज्य सरकार को अपना अनुरोध भेज दिया. उनके इस जवाब पर नाराजगी जाहिर करते हुए अदालत ने कहा कि यह अदालत अधिकारी के जवाब को सुनकर सन्न है, यह अवमानना का स्पष्ट मामला है. याची जो की अदालत में ग्रेच्युटी और सेवा जनित परिलाभों के भुगतान के लिए आया था उसे न सिर्फ याचिका दाखिल करनी पड़ी बल्कि, उस पर हुए आदेश के पालन के लिए अवमानना याचिका दाखिल करने पर भी विवश होना पड़ा.

अदालत ने कहा कि यह गंभीर मामला है और राज्य के वरिष्ठ अधिकारी इस पर पुनर्विचार कर उसका हल निकालने की कोशिश करेंगे. अधिकारी इस पद के योग्य नहीं है, क्योंकि उन्होंने अदालत के आदेश की फाइल को 6 माह तक दबाए रखा, और जब अवमानना याचिका की सुनवाई का समय नजदीक आया तो, भुगतान के लिए राज्य सरकार को अनुरोध भेज दिया. कोर्ट ने विशेष सचिव उच्च शिक्षा को इस मामले में दो सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है. साथ ही निदेशक उच्च शिक्षा प्रयागराज से कहा है कि वह अगली सुनवाई पर भी मौजूद रहेंगे और वह आदेश का पूरी तरह से पालन करवाना सुनिश्चित करें अन्यथा अदालत उन पर अवमानना का आरोप निर्मित करेगी.

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