प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूरे उत्तर प्रदेश में ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए कड़ा कदम उठाया है. कोर्ट ने शादी घरों में ध्वनि प्रदूषण पर सख्त रुख अपनाते हुए नियमों का उल्लंघन करने पर 10 लाख का जुर्माना लगाने का निर्देश दिया है. साथ ही बार-बार नियमों का पालन न करने पर लाइसेंस निरस्त करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही अगर कहीं भी डीजे बिना परमिशन का बजता दिखा तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित थाना और जिलाधिकारी की होगी.
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10 लाख तक अब होगा जुर्माना
कोर्ट ने कहा कि गए निर्देशों के तहत यदि कोई विवाह गृह ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण कानून का पालन नहीं करता तो पहली गलती पर एक लाख, दूसरी गलती पर पांच लाख और तीसरी गलती पर 10 लाख रुपये जुर्माना वसूला जाएगा. तीन गलती के बाद जिलाधिकारी विवाह गृह का लाइसेंस निरस्त कर कार्रवाई करेंगे. कोर्ट ने कहा है कि कोई भी बारात विवाह घर से अधिकतम 100 मीटर की दूरी पर एकत्र होकर निकाली जाए. हर विवाह घर से एनसीटी नीति के अनुसार हलफनामा लिया जाए.
विवाह घर मानक के अनुरूप हो तैयार
प्रयागराज शहर में तमाम विवाह गृह चल रहे हैं, जो शहर वासियों के लिए परेशानियों का सबब बने हुए हैं. पीडीए ने भी माना कि विवाह गृह शहर की यातायात व्यवस्था के लिए परेशानी खड़ी कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा है कि मैरेज हॉल 1500 वर्ग गज में होने चाहिए. 18 मीटर चौड़ी सड़क पर 18 मीटर फ्रंटेज होना चाहिए. 30 फीसदी कवर एरिया और 40 फीसदी ओपन एरिया होना चाहिए. साथ ही वाहन पार्किंग की व्यवस्था हो. कोर्ट ने शहर के मास्टर प्लान और जोनल प्लान पर भी विचार किया और कहा कि केवल सिविल लाइंस में ही जोनल प्लान तैयार हुआ है. 19 साल बीत जाने पर भी शहर का जोनल प्लान तैयार नहीं किया जा सका है.