प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भूमि अधिग्रहण कर कब्जे में लेने या अधिग्रहण किए बगैर जमीन पर कब्जा लेने और मुआवजे का भुगतान न करने को गंभीरता से लिया है. कोर्ट ने कहा है कि अधिकांश अधिग्रहण राजस्व विभाग, लोक निर्माण विभाग व सिंचाई विभाग द्वारा किया जाता है. मुआवजे के भुगतान के लिए हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल हो रही हैं. सरकार मुआवजे का भुगतान नहीं कर रही है.
कोर्ट ने तीनों विभागों के अपर मुख्य सचिवों को विचाराधीन अर्जियों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने मामले में पूछा है कि इनके निस्तारण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती कि किसानों की जमीन ले और मुआवजे का भुगतान न करें. कोर्ट ने तीनों शीर्ष अधिकारियों को 3 दिसंबर तक स्थिति स्पष्ट करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने जय नारायण यादव व अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका की अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी.
अधिग्रहित किए बगैर जमीन लेने का मामला: हाईकोर्ट ने मुआवजा देने की अर्जियां तय करने का सभी डीएम को दिया निर्देश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को अधिग्रहित किए बगैर ली गई किसानों की जमीन के मुआवजे की मांग में विचाराधीन अर्जियों को 25 फरवरी 2022 तक निस्तारित करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने सभी जिलाधिकारियों को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा है कि मुआवजे की मांग में कितनी अर्जियां दाखिल की गई और कितनी तय की गई हैं. यदि तय नहीं की गई हैं तो क्या कारण है. कोर्ट ने आदेश का पालन करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को आदेश की प्रति भेजने को कहा है. याचिका की सुनवाई 25 फरवरी 2022 को होगी.
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने राम कैलाश निषाद व अन्य की याचिका पर दिया है. याची का कहना है कि उसने 25 फरवरी 20 को जिलाधिकारी को मुआवजे की मांग में अर्जी दी है. एक साल 8 माह बाद भी अर्जी तय नहीं की गई है. 12 मई 16 के शासनादेश के अनुसार यदि बिना अधिग्रहित किए जमीन ली गई है तो मुआवजे के भुगतान करने के मामले में जिलाधिकारी सक्षम प्राधिकारी है.