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ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक

ज्ञानवापी मस्जिद का ASI सर्वेक्षण नहीं होगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. गौरतलब है कि वाराणसी कोर्ट ने ASI सर्वे की बात कही थी. सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है.

ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक
ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की रोक
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Published : Sep 9, 2021, 3:44 PM IST

Updated : Sep 9, 2021, 7:20 PM IST

प्रयागराज : ज्ञानवापी मस्जिद का ASI सर्वेक्षण नहीं होगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. गौरतलब है कि वाराणसी कोर्ट ने ASI सर्वे की बात कही थी. सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है. इस मामले में कोर्ट ने कहा है कि दीवानी मुकद्दमे की पोषणीयता को लेकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की दाखिल याचिका पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया है. जिसकी जानकारी अधीनस्थ अदालत को है, तो न्यायिक अनुशासन का पालन करते हुए मंदिरों का सर्वे कराने की अर्जी तय नहीं करनी चाहिए.

कोर्ट ने याचिका पर भारत सरकार व अन्य विपक्षियों से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिकाओं पर दिया है. बता दें, कि 15 अक्टूबर 1991 को स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ से वाराणसी सिविल जज जूनियर डिवीजन के समक्ष मुकद्दमा दाखिल किया था. जिसमें प्लाट संख्या 9130 मौजा शहर खास के दो हिस्सों का हवाला दिया गया है.

एक पुराना ज्ञानवापी मंदिर, तहखाना, चार मंडप, ज्ञान कूप, मूर्तियां व पेड पर हिन्दुओं के आधिपत्य एवं उत्तरी गेट पर नौबतखाना व मस्जिद के दावे पर सवाल उठाए गए हैं. यह भी दावा किया गया है, कि इस्लामिक कानून में विवादित स्थल पर मस्जिद नहीं हो सकती. औरंगजेब उसका स्वामी नहीं है, सतयुग से आजतक स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की प्रतिष्ठा है. जिसे हटाया नहीं जा सकता. बोर्ड ने आपत्ति जताई थी, कि उपासना स्थल विशेष उपबंध कानून 1991 के अंतर्गत विवादित उपासना स्थल को लेकर सिविल वाद दायर नहीं किया जा सकता. वर्ष 1947 की स्थिति में परिवर्तन नहीं किया जाएगा.

सिविल जज ने यह मुकद्दमा खारिज कर दिया था. जिसके खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी मंजूर कर ली गई. मुकद्दमे की सुनवाई शुरू होने पर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है. कोई स्थगन आदेश न होने से अधीनस्थ अदालत में सर्वे कराने की अर्जी की सुनवाई करते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पूरे क्षेत्र का सर्वे करने का आदेश दिया था. इसमें एक बीघा 9 विस्वा 6 धुर जमीन को चिन्हिंत करने, नक्शा बनाने, मूर्तियों की स्थिति दर्शाने का आदेश दिया गया है. साथ ही तहखाने का निरीक्षण करने को कहा गया है, जिसे इन याचिकाओं में चुनौती दी गई है. याचिकाओं की सुनवाई 8अक्टूबर को होगी.

फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दिया था सर्वे का फैसला

ज्ञानवापी मामले में मस्जिद इंतजामिया कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. वाराणसी के सिविल जल सीनीयर डिवीजन की कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था.

ज्ञानवापी मामले में वाराणसी के सिविल कोर्ट ने 8 अप्रैल 2021 को फैसला सुनाते हुए पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया था. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी थी. कोर्ट ने इस मामले में पांच लोगों की टीम बनाकर पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया था. इसमें मुस्लिम पक्ष से भी दो लोगों को शामिल करने का आदेश था.

सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज ने ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए सर्वे का फैसला सुनाया था. कोर्ट ने विवादित स्थान का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने, खुदाई कराने और उसकी आख्या न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए आदेश जारी किया था.

इस मुद्दे को लेकर याचिका दायर करने वाले वकील विजय शंकर रस्तोगी के मुताबिक इस सर्वेक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पांच विख्यात पुरातत्व वेत्ताओं को शामिल करने का आदेश दिया गया था. जिनमें अल्पसंख्यक समुदाय के दो सदस्यों को शामिल करने का भी आदेश था. वर्ष 2019 में दीवानी न्यायालय में उन्होंने स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ की ओर से वाद मित्र के रूप में आवेदन दिया था. उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है. रस्तोगी की याचिका पर वाराणसी की अदालत ने परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण के आदेश दिए था.

काफी समय से चल रहा है विवाद

ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वेक्षण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर लंबे वक्त से विवाद चल रहा है. 1664 में औरंगजेब की तरफ से किए जाने की बात कही जा रही है और उसके स्थान पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने की बात कहते हुए प्रकरण को कोर्ट में मामला चल रहा है. 1991 में वाराणसी सिविल कोर्ट में कोयंबटूर ज्योतिर्लिंग भगवान विश्लेषण की तरफ से ज्ञानवापी में पूजा अर्चना की अनुमति मांगी गई थी और याचिका दायर की गई थी. इसके बाद से यह प्रकरण विवादों में है. याचिका में तीन पंडितों की तरफ से गुहार लगाई गई थी. इसके बाद 2019 में वकील विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल कोर्ट में आवेदन किया था. इसमें अनुरोध किया गया था कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया जाए ताकि सच्चाई सामने आए.

इसे भी पढ़ें- जानें बाबरी मस्जिद से कैसे अलग है ज्ञानवापी मस्जिद

इसे भी पढ़ें- काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के लिए मुस्लिम पक्ष ने दी 1700 वर्ग फीट जमीन

प्रयागराज : ज्ञानवापी मस्जिद का ASI सर्वेक्षण नहीं होगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है. गौरतलब है कि वाराणसी कोर्ट ने ASI सर्वे की बात कही थी. सुन्नी वक्फ बोर्ड की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला दिया है. इस मामले में कोर्ट ने कहा है कि दीवानी मुकद्दमे की पोषणीयता को लेकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की दाखिल याचिका पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा गया है. जिसकी जानकारी अधीनस्थ अदालत को है, तो न्यायिक अनुशासन का पालन करते हुए मंदिरों का सर्वे कराने की अर्जी तय नहीं करनी चाहिए.

कोर्ट ने याचिका पर भारत सरकार व अन्य विपक्षियों से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 8 अक्टूबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड व अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी की तरफ से दाखिल याचिकाओं पर दिया है. बता दें, कि 15 अक्टूबर 1991 को स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ से वाराणसी सिविल जज जूनियर डिवीजन के समक्ष मुकद्दमा दाखिल किया था. जिसमें प्लाट संख्या 9130 मौजा शहर खास के दो हिस्सों का हवाला दिया गया है.

एक पुराना ज्ञानवापी मंदिर, तहखाना, चार मंडप, ज्ञान कूप, मूर्तियां व पेड पर हिन्दुओं के आधिपत्य एवं उत्तरी गेट पर नौबतखाना व मस्जिद के दावे पर सवाल उठाए गए हैं. यह भी दावा किया गया है, कि इस्लामिक कानून में विवादित स्थल पर मस्जिद नहीं हो सकती. औरंगजेब उसका स्वामी नहीं है, सतयुग से आजतक स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की प्रतिष्ठा है. जिसे हटाया नहीं जा सकता. बोर्ड ने आपत्ति जताई थी, कि उपासना स्थल विशेष उपबंध कानून 1991 के अंतर्गत विवादित उपासना स्थल को लेकर सिविल वाद दायर नहीं किया जा सकता. वर्ष 1947 की स्थिति में परिवर्तन नहीं किया जाएगा.

सिविल जज ने यह मुकद्दमा खारिज कर दिया था. जिसके खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी मंजूर कर ली गई. मुकद्दमे की सुनवाई शुरू होने पर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है. कोई स्थगन आदेश न होने से अधीनस्थ अदालत में सर्वे कराने की अर्जी की सुनवाई करते हुए पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पूरे क्षेत्र का सर्वे करने का आदेश दिया था. इसमें एक बीघा 9 विस्वा 6 धुर जमीन को चिन्हिंत करने, नक्शा बनाने, मूर्तियों की स्थिति दर्शाने का आदेश दिया गया है. साथ ही तहखाने का निरीक्षण करने को कहा गया है, जिसे इन याचिकाओं में चुनौती दी गई है. याचिकाओं की सुनवाई 8अक्टूबर को होगी.

फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दिया था सर्वे का फैसला

ज्ञानवापी मामले में मस्जिद इंतजामिया कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. वाराणसी के सिविल जल सीनीयर डिवीजन की कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े मामले में विवादित परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था.

ज्ञानवापी मामले में वाराणसी के सिविल कोर्ट ने 8 अप्रैल 2021 को फैसला सुनाते हुए पुरातात्विक सर्वेक्षण के प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर लिया था. इसके बाद कोर्ट ने इस मामले की जिम्मेदारी केंद्र सरकार को सौंपी थी. कोर्ट ने इस मामले में पांच लोगों की टीम बनाकर पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश जारी किया था. इसमें मुस्लिम पक्ष से भी दो लोगों को शामिल करने का आदेश था.

सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज ने ज्ञानवापी परिसर के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए सर्वे का फैसला सुनाया था. कोर्ट ने विवादित स्थान का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने, खुदाई कराने और उसकी आख्या न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए आदेश जारी किया था.

इस मुद्दे को लेकर याचिका दायर करने वाले वकील विजय शंकर रस्तोगी के मुताबिक इस सर्वेक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पांच विख्यात पुरातत्व वेत्ताओं को शामिल करने का आदेश दिया गया था. जिनमें अल्पसंख्यक समुदाय के दो सदस्यों को शामिल करने का भी आदेश था. वर्ष 2019 में दीवानी न्यायालय में उन्होंने स्वयंभू भगवान विश्वेश्वर काशी विश्वनाथ की ओर से वाद मित्र के रूप में आवेदन दिया था. उन्होंने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है. रस्तोगी की याचिका पर वाराणसी की अदालत ने परिसर में पुरातात्विक सर्वेक्षण के आदेश दिए था.

काफी समय से चल रहा है विवाद

ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वेक्षण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर लंबे वक्त से विवाद चल रहा है. 1664 में औरंगजेब की तरफ से किए जाने की बात कही जा रही है और उसके स्थान पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाए जाने की बात कहते हुए प्रकरण को कोर्ट में मामला चल रहा है. 1991 में वाराणसी सिविल कोर्ट में कोयंबटूर ज्योतिर्लिंग भगवान विश्लेषण की तरफ से ज्ञानवापी में पूजा अर्चना की अनुमति मांगी गई थी और याचिका दायर की गई थी. इसके बाद से यह प्रकरण विवादों में है. याचिका में तीन पंडितों की तरफ से गुहार लगाई गई थी. इसके बाद 2019 में वकील विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल कोर्ट में आवेदन किया था. इसमें अनुरोध किया गया था कि ज्ञानवापी परिसर का सर्वे किया जाए ताकि सच्चाई सामने आए.

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Last Updated : Sep 9, 2021, 7:20 PM IST
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