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डॉ. कफील अहमद खान के निलंबन पर रोक का आदेश, राज्य सरकार से जवाब तलब - डॉ. कफील अहमद खान के निलंबन पर रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के डॉ. कफील अहमद खान के 31 जुलाई 19 को पारित निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.

डॉ. कफील अहमद खान.
डॉ. कफील अहमद खान.
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Published : Sep 14, 2021, 8:25 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के डॉ. कफील अहमद खान के 31 जुलाई 19 को पारित निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार से 4 हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 11 नवंबर को होगी. कोर्ट ने याची के खिलाफ विभागीय जांच कार्रवाई एक माह में पूरी करने का निर्देश देते हुए रिपोर्ट मांगी है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने डॉ. कफील अहमद खान की याचिका पर दिया है.

मालूम हो कि याची 2018 में महानिदेशक कार्यालय लखनऊ से संबद्ध था. उसी समय बहराइच में इंसेफेलाइटिस बीमारी के कारण एक हफ्ते में 70 बच्चों की मौत हो गई. याची इलाज करने के लिए वहां गया. याची को बिना अनुमति लिए जबरन बच्चों का इलाज करने और सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के आरोप में निलंबित कर दिया गया.

जिसे चुनौती दी गई. याची का कहना है कि, निलंबन के दो साल बाद भी जांच प्रक्रिया पूरी नहीं की गई. ऐसे में उसका निलंबन वापस लिया जाए. जब एक मामले में निलंबित है तो दूसरे मामले में निलंबित करने का कोई औचित्य नहीं है.

इसे भी पढ़ें- हिन्दू परंपरा की शादी में सिंदूरदान व सप्तपदी महत्वपूर्णः इलाहाबाद हाईकोर्ट

सरकारी वकील का कहना था कि 27अगस्त 21 को जांच रिपोर्ट पेश कर दी गई है. याची को आपत्ति दाखिल करने का मौका दिया गया है. सरकार को जांच के दौरान कर्मचारी को निलंबित करने का अधिकार है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और सरकार से जवाब तलब किया है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के डॉ. कफील अहमद खान के 31 जुलाई 19 को पारित निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार से 4 हफ्ते में याचिका पर जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 11 नवंबर को होगी. कोर्ट ने याची के खिलाफ विभागीय जांच कार्रवाई एक माह में पूरी करने का निर्देश देते हुए रिपोर्ट मांगी है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने डॉ. कफील अहमद खान की याचिका पर दिया है.

मालूम हो कि याची 2018 में महानिदेशक कार्यालय लखनऊ से संबद्ध था. उसी समय बहराइच में इंसेफेलाइटिस बीमारी के कारण एक हफ्ते में 70 बच्चों की मौत हो गई. याची इलाज करने के लिए वहां गया. याची को बिना अनुमति लिए जबरन बच्चों का इलाज करने और सरकार विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के आरोप में निलंबित कर दिया गया.

जिसे चुनौती दी गई. याची का कहना है कि, निलंबन के दो साल बाद भी जांच प्रक्रिया पूरी नहीं की गई. ऐसे में उसका निलंबन वापस लिया जाए. जब एक मामले में निलंबित है तो दूसरे मामले में निलंबित करने का कोई औचित्य नहीं है.

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सरकारी वकील का कहना था कि 27अगस्त 21 को जांच रिपोर्ट पेश कर दी गई है. याची को आपत्ति दाखिल करने का मौका दिया गया है. सरकार को जांच के दौरान कर्मचारी को निलंबित करने का अधिकार है. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और सरकार से जवाब तलब किया है.

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