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प्रयागराज: हाईकोर्ट ने अधिक वेतन भुगतान की वसूली पर लगाई रोक

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Published : Jul 8, 2020, 5:54 PM IST

यूपी के प्रयागराज में कार्यवाहक प्रधानाचार्य से पदावनत अध्यापक से अधिक वेतन भुगतान की वसूली पर कोर्ट ने रोक लगा दी है. कोर्ट ने राज्य सरकार और विपक्षियों से जवाब मांगा है.

allahabad high court
कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लक्ष्मण प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज वीरभद्रपुर भदोही के कार्यकारी प्रधानाचार्य को पदावनति दी है. इसके साथ ही मूल पद पर भेजने और इस दौरान लिए गए अधिक वेतन की वसूली करने के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने अधिक वेतन की वसूली करने के जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही कहा है कि याची से कोई वसूली नहीं की जाएगी. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने रमाशंकर सिंह यादव की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल ने बहस की है.

24 अप्रैल 2020 को पद से हटाया गया
याची का कहना है कि कॉलेज में दो वरिष्ठ अध्यापकों ने प्रधानाचार्य का कार्यभार संभालने पर अनापत्ति देते हुए हलफनामा दिया और उनको कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया. 24 अप्रैल 2020 को संयुक्त निदेशक शिक्षा विंध्याचल मंडल मिर्जापुर ने यह कहते हुए पद से हटाते हुए मूल पद पर वापस भेज दिया है कि नियमानुसार वरिष्ठतम अध्यापक ही कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त किया जा सकता है. याची वरिष्ठतम अध्यापक नहीं है. कोर्ट ने जानना चाहा कि किस नियम से वरिष्ठ अध्यापकों ने याची के पक्ष में हलफनामा दिया है.

कोर्ट ने नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा
याची के अधिवक्ता अनुराग शुक्ल ने कहा कि अगर किसी वरिष्ठ अध्यापक ने प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति लेने से इनकार कर दिया है तो वह दोबारा उस पद का दावा करने का अधिकार खो देता है. कोर्ट ने कहा कि याची के पक्ष में अनापत्ति से यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति लेने का दावा छोड़ दिया है. कोर्ट ने नोटिस जारी की है और याचिका पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि केवल अधिक वेतन वसूली पर ही रोक लगाई गई है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लक्ष्मण प्रसाद इंटरमीडिएट कॉलेज वीरभद्रपुर भदोही के कार्यकारी प्रधानाचार्य को पदावनति दी है. इसके साथ ही मूल पद पर भेजने और इस दौरान लिए गए अधिक वेतन की वसूली करने के खिलाफ याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने अधिक वेतन की वसूली करने के जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही कहा है कि याची से कोई वसूली नहीं की जाएगी. यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने रमाशंकर सिंह यादव की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता अनुराग शुक्ल ने बहस की है.

24 अप्रैल 2020 को पद से हटाया गया
याची का कहना है कि कॉलेज में दो वरिष्ठ अध्यापकों ने प्रधानाचार्य का कार्यभार संभालने पर अनापत्ति देते हुए हलफनामा दिया और उनको कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त किया गया. 24 अप्रैल 2020 को संयुक्त निदेशक शिक्षा विंध्याचल मंडल मिर्जापुर ने यह कहते हुए पद से हटाते हुए मूल पद पर वापस भेज दिया है कि नियमानुसार वरिष्ठतम अध्यापक ही कार्यवाहक प्रधानाचार्य नियुक्त किया जा सकता है. याची वरिष्ठतम अध्यापक नहीं है. कोर्ट ने जानना चाहा कि किस नियम से वरिष्ठ अध्यापकों ने याची के पक्ष में हलफनामा दिया है.

कोर्ट ने नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा
याची के अधिवक्ता अनुराग शुक्ल ने कहा कि अगर किसी वरिष्ठ अध्यापक ने प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति लेने से इनकार कर दिया है तो वह दोबारा उस पद का दावा करने का अधिकार खो देता है. कोर्ट ने कहा कि याची के पक्ष में अनापत्ति से यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति लेने का दावा छोड़ दिया है. कोर्ट ने नोटिस जारी की है और याचिका पर जवाब मांगा है. कोर्ट ने कहा है कि केवल अधिक वेतन वसूली पर ही रोक लगाई गई है.

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