प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शुक्रवार को दाखिल एक विशेष याचिका पर सुनवाई करते हुए डीआईजी स्थापना, पुलिस मुख्यालय से पूछा है कि वह बताएं कि 2015 की पुलिस कांस्टेबल भर्ती (constable recruitment) में कितने पद कांस्टेबल सिविल पुलिस व पीएसी के रिक्त रह गए हैं.
बता दें कि अभ्यर्थियों ने यह विशेष अपील एकल जज के उस आदेश के खिलाफ दाखिल की है जिसमें कट ऑफ मेरिट नीचे कर 2015 सिपाही भर्ती में रिक्त रह गए पदों पर नियुक्ति की मांग को खारिज कर दिया गया था.
शेष अभ्यर्थियों से भरे जाएं रिक्त पद
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी व न्यायमूर्ति राजेन्द्र कुमार (Justice Rajendra Kumar) चतुर्थ की खंडपीठ ने अजय प्रकाश मिश्र की विशेष अपील पर पारित किया है. अपीलार्थियों की तरफ से अधिवक्ता एचएन सिंह ने बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि नियमावली के अनुसार भर्ती की प्रक्रिया तब तक पूरी नहीं होती, जब तक मेडिकल परीक्षण (medical tests) व आचरण आदि का परीक्षण नहीं हो जाता. कहा गया कि इस दौरान यदि किसी की अयोग्यता के कारण पद रिक्त रह जाता है तो उन पदों को अन्य बचे अभ्यर्थियों से भरा जाना चाहिए.
इसे भी पढ़ें-बाराबंकी मस्जिद गिराने का मामला : हाई कोर्ट ने दूसरी अवमानना अर्जी सुनने से किया इनकार
कैरी फॉरवर्ड हो चुकी है वैकेंसी
प्रदेश सरकार की तरफ से अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने अपील का विरोध करते हुए कहा कि एकल जज के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है. कहा गया कि रूल 15 में कट ऑफ मेरिट की बात कही गई है. नियमावली में वेट लिस्ट बनाने का कोई प्रावधान नहीं है. भर्ती बोर्ड ने भर्ती की प्रक्रिया पूरी कर नियुक्ति के लिए नियुक्ति अधिकारी को भेज दिया है. ऐसे में नियमावली में किसी प्रकार का प्रावधान न होने के कारण अपीलार्थियों को नियुक्त नहीं किया जा सकता है.
सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि 2015 के रिक्त पदों को अगली भर्ती में कैरी फॉरवर्ड (carry forward) भी कर दिया गया है. इस पर कोर्ट ने कहा कि तब तो याचिकाकर्ताओं का कोई केस नहीं बनता. लेकिन अपीलार्थियों के अधिवक्ता ने कहा कि 2015 भर्ती 2019 में फाइनल हुई है जबकि पिछली भर्ती 2018 की है. ऐसे में यह कहना गलत है कि वैकेंसी कैरी फॉरवर्ड होकर भरी जा चुकी है.
इस पर कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता से सही तथ्य सामने रखने को कहा है. कोर्ट इस अपील पर 19 जुलाई को फिर सुनवाई करेगी. मालूम हो कि जस्टिस एम सी त्रिपाठी ने नियमावली का आदेश में उल्लेख कर याचिका खारिज कर दी थी. कहा था कि कट ऑफ मेरिट नीचे कर 2015 की भर्ती में नियुक्ति का आदेश नहीं दिया जा सकता है. इस आदेश को अपील में चुनौती दी गई है.