प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने बुंदेलखंड विद्युतीकरण योजना के तहत झांसी जिले के 144 गांवों में से 23 गांवों के मुआयने में 1600 करोड़ रुपये के घपले की वसूली करने व विजिलेंस जांच पूरी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार (UP Government) से प्रगति रिपोर्ट मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 5 अगस्त को होगी. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि भारी संख्या में गांवों के लोग विवेचना में शामिल हैं. अब तक क्या तथ्य इकट्ठा किये गये हैं. यदि जमानत पर नहीं हैं तो क्या अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है. यदि गिरफ्तार नहीं किया गया है तो क्या कारण है. यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति अजय त्यागी की खंडपीठ ने परिहरनपुर जालौन के निवासी गिरिजा सिंह की याचिका पर दिया.
याची अधिवक्ता सतीष चंद्र दुबे का कहना है कि मेसर्स IVRCL इंफ्रास्ट्रक्चर एण्ड प्रोजेक्ट लि. हैदराबाद और बिजली विभाग के अभियंताओं की मिलीभगत से करोड़ों रूपये का बिना काम किये भुगतान लिया गया है. इसकी जांच विजिलेंस विभाग कर रहा है. 5 जुलाई 2019 को थाना नवाबाद, झांसी में एफआईआर दर्ज करायी गयी है.
याची का कहना है कि 2005-06 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युत योजना के तहत 144 गावों के विद्युतीकरण का ठेका हैदराबाद की कंपनी को दिया गया. 9505 पोल में से 50 फीसदी पैरामीटर के अनुसार नहीं लगाये गये हैं. झांसी के 23 गांवों का मुआयना किया गया, जिसमें 87 फीसदी इलेक्ट्रिक मीटर बाइक्स फिटिंग नहीं मिली. याचिका में बिजली विभाग के आधे दर्जन अभियंताओं को भी पक्षकार बनाया गया है. याची का कहना है कि विजिलेंस विभाग जांच ठीक से नहीं कर रहा. जांच पूरी करने का निर्देश दिया जाए.
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