प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी और सात अन्य की याचिका पर राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका में पिता के खिलाफ आपराधिक केस की पैरवी करने प्रयागराज एमपी, एमएलए विशेष अदालत आने पर शांति भंग के अंदेशे में गिरफ्तार करने और जमानत देकर पाबंदी की नोटिस और चालान करने की वैधता को चुनौती दी गई है.
याचिका में ए सी एम प्रयागराज के खिलाफ कार्रवाई करने और अवैध रूप से गिरफ्तारी और पाबंदी नोटिस जारी करने पर याची को मुआवजा दिलाने की मांग की गई है. ये आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने उमर अंसारी और अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता उपेन्द्र उपाध्याय ने बहस की.
इनका कहना है कि गाजीपुर मोहम्मदाबाद थाने में ट्रिपल हत्या केस की सुनवाई विशेष अदालत प्रयागराज में चल रही है. याची के पिता 2005 से जेल में बंद है. चंदौली, सैयदराजा के बीजेपी विधायक सुशील सिंह और इनके चाचा एमएलसी बीजेपी ने प्रभाव डालकर निर्दोष याचीगण को गिरफ्तार कराया है. ताकि वो आपराधिक केस की पैरवी न कर सके.
याचीगण को प्रयागराज विशेष अदालत से धारा 151 में गिरफ्तार कर लिया गया और मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. जहां धारा 107 और 116 में चालान कर धारा 111 के तहत पाबंद करने की नोटिस जारी की गई है. पुलिस का कहना है कि याची बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह से अपराध की योजना पर बात कर रहा था. शांति भंग होने की आशंका थी.
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जब कि याची का कहना है कि कोर्ट में किसी भी प्रकार का झगड़ा नहीं हुआ. मजिस्ट्रेट ने बिना न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किये पाबंदी नोटिस जारी कर दी है. अपनी शक्ति का मनमाना इस्तेमाल किया. कोई आदेश देने की वजह बताया जाना चाहिए. याचीगण आपराधिक केस में पैरोकार और गवाह है. विधि के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजिस्ट्रेट को दंडित किया जाये. याची की अवैध गिरफ्तारी के लिए मुआवजा दिलाया जाए.