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आदेश कानून के मुताबिक नहीं तो पालन करने का समादेश नहीं : हाईकोर्ट - हाईकोर्ट ने दिया आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसडीओ व तहसीलदार मेजा प्रयागराज से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण पेश करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने पूछा कि किस कानूनी उपबंध के तहत गांव सभा परानीपुर की सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने व चकरोड व पक्की नाली बनाने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Oct 27, 2021, 7:42 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसडीओ व तहसीलदार मेजा प्रयागराज से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण पेश करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने पूछा कि किस कानूनी उपबंध के तहत गांव सभा परानीपुर की सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने व चकरोड व पक्की नाली बनाने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि राजस्व संहिता की धारा 26 में ऐसे लोगों पर कार्यवाही की प्रक्रिया दी गई है. इस मामले में न तो अतिक्रमण करने वाले लोगों का नाम है और न ही किसी को नोटिस जारी की गई है. नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध पारित आदेश का पालन कराने के लिए याचिका दायर की गई है. कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 226 के अंतर्गत ऐसे आदेश के पालन करने का समादेश जारी नहीं किया जा सकता, जो कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बगैर जारी किया गया हो.

यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने राजदेव मिश्र व अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता प्रेम प्रकाश व अनुराग शुक्ल ने बहस की. इनका कहना है कि याचीगण ने एसडीओ मेजा को प्लाट संख्या 116 से अवैध कब्जा हटाकर चकरोड व पक्की नाली का निर्माण कराने की अर्जी दी. जिस पर एसडीओ ने राजस्व निरीक्षक को आदेश दिया कि अवैध कब्जा हटाकर चकरोड नाली का निर्माण कराया जाय, और जरुरत पड़े तो पुलिस बल की सहायता ली जाय. तहसीलदार ने भी ऐसा ही आदेश दिया है, जिसका पालन कराने की मांग में याचिका दाखिल की गई है.

इसे भी पढ़ें- राजा भैया का विपक्ष पर निशाना, कहा- मेरी तो पैदाइश ही भगवान श्रीराम के शरण में हुई है

याचिका की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी. क्योंकि आदेश कानूनी प्रक्रिया अपनाये बगैर दिया गया है. इसलिए कोर्ट ने कहा कि ऐसे आदेश का पालन कराने का निर्देश जारी नहीं किया जा सकता. और ऐसा आदेश देने वाले अधिकारियों से सफाई मांगी है कि किस उपबंध के तहत ऐसा आदेश दिया है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसडीओ व तहसीलदार मेजा प्रयागराज से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण पेश करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने पूछा कि किस कानूनी उपबंध के तहत गांव सभा परानीपुर की सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने व चकरोड व पक्की नाली बनाने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि राजस्व संहिता की धारा 26 में ऐसे लोगों पर कार्यवाही की प्रक्रिया दी गई है. इस मामले में न तो अतिक्रमण करने वाले लोगों का नाम है और न ही किसी को नोटिस जारी की गई है. नैसर्गिक न्याय के विरुद्ध पारित आदेश का पालन कराने के लिए याचिका दायर की गई है. कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 226 के अंतर्गत ऐसे आदेश के पालन करने का समादेश जारी नहीं किया जा सकता, जो कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बगैर जारी किया गया हो.

यह आदेश न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने राजदेव मिश्र व अन्य की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता प्रेम प्रकाश व अनुराग शुक्ल ने बहस की. इनका कहना है कि याचीगण ने एसडीओ मेजा को प्लाट संख्या 116 से अवैध कब्जा हटाकर चकरोड व पक्की नाली का निर्माण कराने की अर्जी दी. जिस पर एसडीओ ने राजस्व निरीक्षक को आदेश दिया कि अवैध कब्जा हटाकर चकरोड नाली का निर्माण कराया जाय, और जरुरत पड़े तो पुलिस बल की सहायता ली जाय. तहसीलदार ने भी ऐसा ही आदेश दिया है, जिसका पालन कराने की मांग में याचिका दाखिल की गई है.

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याचिका की अगली सुनवाई 9 नवंबर को होगी. क्योंकि आदेश कानूनी प्रक्रिया अपनाये बगैर दिया गया है. इसलिए कोर्ट ने कहा कि ऐसे आदेश का पालन कराने का निर्देश जारी नहीं किया जा सकता. और ऐसा आदेश देने वाले अधिकारियों से सफाई मांगी है कि किस उपबंध के तहत ऐसा आदेश दिया है.

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