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बिना विशेष कारण अग्रिम जमानत की अर्जी हाईकोर्ट में सीधे ग्राह्य नहीं : हाईकोर्ट

सत्र न्यायलय के बजाय बिना ठोस वजह के सीधे हाईकोर्ट में दाखिल अग्रिम जमानत की अर्जी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनने से इंकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जबतक अर्जी में विशेष परिस्थिति का उल्लेख न हो, तबतक हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी सीधे प्रथम स्तर पर ग्राह्य नहीं है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jun 3, 2021, 8:47 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अग्रिम जमानत से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि 5 जजों की वृहदपीठ का फैसला है कि अग्रिम जमानत अर्जी, सीधे हाईकोर्ट में दाखिल करने के लिए उन कारणों व विशेष परिस्थितियों का उल्लेख करना होगा कि याची सम्बन्धित सत्र न्यायालय में क्यों नहीं जा सका. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गाजियाबाद के गोपाल व दो अन्य की तरफ से दाखिल अर्जी को खारिज करते हुए पारित किया है.

याचीगण के खिलाफ गाजियाबाद के थाना साहिबाबाद में भारतीय दंड संहिता की धारा 420,467,468,471,506,120 बी, 34 व 386 के अन्तर्गत एफआईआर दर्ज है. इस मामले में हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की गई थी. कोर्ट ने कहा पहले सत्र न्यायालय मे जाय.

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हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचीगण ने अर्जी मे कहीं भी उन विशेष परिस्थितियों का उल्लेख नहीं किया है, कि वे क्यों इसके लिए सत्र न्यायालय नहीं जा सकते अथवा वह कौन सी विशेष परिस्थिति है कि हाईकोर्ट सीधे इस मामले की सुनवाई करे. कोर्ट ने कहा कि उसे इस प्रकार की याचिकाओं को सुनने से पहले उसके ग्राह्यता को देखना होगा. कोर्ट ने याचिका खारिज कर याचीगण को यह छूट दी है, कि वे इसके लिए सत्र न्यायालय में अर्जी दाखिल कर सकते हैं.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अग्रिम जमानत से संबंधित याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि 5 जजों की वृहदपीठ का फैसला है कि अग्रिम जमानत अर्जी, सीधे हाईकोर्ट में दाखिल करने के लिए उन कारणों व विशेष परिस्थितियों का उल्लेख करना होगा कि याची सम्बन्धित सत्र न्यायालय में क्यों नहीं जा सका. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने गाजियाबाद के गोपाल व दो अन्य की तरफ से दाखिल अर्जी को खारिज करते हुए पारित किया है.

याचीगण के खिलाफ गाजियाबाद के थाना साहिबाबाद में भारतीय दंड संहिता की धारा 420,467,468,471,506,120 बी, 34 व 386 के अन्तर्गत एफआईआर दर्ज है. इस मामले में हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की गई थी. कोर्ट ने कहा पहले सत्र न्यायालय मे जाय.

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हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचीगण ने अर्जी मे कहीं भी उन विशेष परिस्थितियों का उल्लेख नहीं किया है, कि वे क्यों इसके लिए सत्र न्यायालय नहीं जा सकते अथवा वह कौन सी विशेष परिस्थिति है कि हाईकोर्ट सीधे इस मामले की सुनवाई करे. कोर्ट ने कहा कि उसे इस प्रकार की याचिकाओं को सुनने से पहले उसके ग्राह्यता को देखना होगा. कोर्ट ने याचिका खारिज कर याचीगण को यह छूट दी है, कि वे इसके लिए सत्र न्यायालय में अर्जी दाखिल कर सकते हैं.

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