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जेलों की दशा सुधारने के मुद्दे पर गंभीर नहीं दिख रही सरकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट

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Published : Sep 9, 2022, 7:17 AM IST

प्रदेश में जेलों की हालत सुधारने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर सरकार की ओर से सुनवाई टालने के अनुरोध पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं दिख रही है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की जेलों की हालत सुधारने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर सरकार की ओर से सुनवाई टालने के अनुरोध पर नाराजगी जताते हुए टिप्पणी की है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं दिख रही है. साथ ही मामले में अगली सुनवाई के लिए 27 सितंबर की तारीख लगाते हुए महाधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने के लिए बुलाया और मुख्य सचिव से भी उस वक्त कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर की खंडपीठ ने बच्चे लाल की जनहित याचिका व अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है.

कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को आदेश की प्रति प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश दिया है. मामले में सुनवाई शुरू होते ही अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि जिन्हें बहस करनी है. उनमें से कोई सरकारी वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं है. इसलिए सुनवाई टाल दी जाए. इसे कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए महाधिवक्ता और मुख्य सचिव से अगली सुनवाई पर उपस्थित रहने को कहा है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की जेलों की हालत सुधारने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर सरकार की ओर से सुनवाई टालने के अनुरोध पर नाराजगी जताते हुए टिप्पणी की है कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर नहीं दिख रही है. साथ ही मामले में अगली सुनवाई के लिए 27 सितंबर की तारीख लगाते हुए महाधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने के लिए बुलाया और मुख्य सचिव से भी उस वक्त कोर्ट में मौजूद रहने को कहा है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर की खंडपीठ ने बच्चे लाल की जनहित याचिका व अन्य याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है.

कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को आदेश की प्रति प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश दिया है. मामले में सुनवाई शुरू होते ही अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि जिन्हें बहस करनी है. उनमें से कोई सरकारी वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं है. इसलिए सुनवाई टाल दी जाए. इसे कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए महाधिवक्ता और मुख्य सचिव से अगली सुनवाई पर उपस्थित रहने को कहा है.

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