ETV Bharat / state

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- गोहत्या के मामले में इनको भेजा जा रहा जेल

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को गोहत्या के मामले में जेल में बंद एक आरोपी की जमानत याचिका स्वीकार कर ली. इस दौरान कोर्ट ने गोहत्या रोकथाम अधिनियम- 1955 का गलत प्रयोग करने की बात कहा. कोर्ट ने कहा कि फॉरेंसिंक लैब से मांस की जांच कराए बिना ही आरोपियों को जेल भेजा जा रहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
author img

By

Published : Oct 27, 2020, 6:02 AM IST

प्रयागराज: यूपी में गोहत्या रोकथाम अधिनियम को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यूपी में इस एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है. इस एक्ट का उपयोग कर बेगुनाहों को भी जेल भेजा जा रहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि लोग ऐसे अपराध में जेल भेजे जा रहे हैं, जिन्हें वह करते ही नही हैं.

कोर्ट ने कहा कि अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान होने के बावजूद लोग लम्बे समय तक जेल में रहते हैं. किसी भी तरह के मांस की बरामदगी के बाद उसकी सच्चाई का पता लगाए और फॉरेंसिक लैब में टेस्ट कराए बिना ही बता दिया जाता है बीफ यानी गाय का मांस है. ज्यादातर बरामद मांस को फॉरेंसिक लैब में टेस्ट कराए बिना ही आरोपियों को जेल भेज दिया जा रहा है. इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कोर्ट ने बिना जांच के जेल नहीं भेजने को कहा.

गोशालाओं सुविधा की कमी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यूपी में गायों की देखरेख और गोशालाओं में बेहतर सुविधा का इंतजाम नहीं है. गोशालाएं सिर्फ दुधारू गायों को ही रखने में दिलचस्पी दिखा रही हैं. इसके साथ ही बूढ़ी और बीमार के साथ ही दूध न देने वाली गायों को लोग सड़कों पर छोड़ देते हैं और गोशालाएं भी इन्हें नहीं रखती हैं. इसके साथ ही गोशालाओं के बाहर घूमने वाली गायें लोगों की फसलों को बर्बाद कर रही हैं. किसानों को पहले सिर्फ नीलगायों से खतरा था, अब आवारा गायों से खतरा बना हुआ है.

आए दिन हो रहीं सड़क दुर्घटनाएं
हाईकोर्ट ने कहा कि बाहर सड़कों पर घूमने वाली गायें ट्रैफिक और लोगों के जीवन के लिए भी खतरा पैदा करती हैं. आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं. स्थानीय लोगों और पुलिस के डर की वजह से दूसरे लोग भी इन्हें न तो अपने साथ रखते हैं और न ही राज्य से बाहर भेजने की हिम्मत जुटा पाते हैं. गायों का परित्याग समाज पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है. गायों को उनके मालिकों के साथ रहने या फिर गोशालाओं में रखे जाने के नियम होने चाहिए. हाईकोर्ट ने अपने इसी निष्कर्ष के आधार पर आरोपी को जमानत देने को कहा.

इन तथ्यों के साथ अदालत ने शामली जिले के रहीम की जमानत अर्जी मंजूर कर ली. याचिकाकर्ता के खिलाफ शामली के थाना भवन में गोहत्या निवारण अधिनियम 1955 के तहत केस दर्ज हुआ था. इसी साल 5 अगस्त से आरोपी जेल में है, जबकि इसकी क्रिमिनल हिस्ट्री सिर्फ एक मुकदमे की ही है.

प्रयागराज: यूपी में गोहत्या रोकथाम अधिनियम को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यूपी में इस एक्ट का दुरुपयोग हो रहा है. इस एक्ट का उपयोग कर बेगुनाहों को भी जेल भेजा जा रहा है. हाईकोर्ट ने कहा कि लोग ऐसे अपराध में जेल भेजे जा रहे हैं, जिन्हें वह करते ही नही हैं.

कोर्ट ने कहा कि अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान होने के बावजूद लोग लम्बे समय तक जेल में रहते हैं. किसी भी तरह के मांस की बरामदगी के बाद उसकी सच्चाई का पता लगाए और फॉरेंसिक लैब में टेस्ट कराए बिना ही बता दिया जाता है बीफ यानी गाय का मांस है. ज्यादातर बरामद मांस को फॉरेंसिक लैब में टेस्ट कराए बिना ही आरोपियों को जेल भेज दिया जा रहा है. इस मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए कोर्ट ने बिना जांच के जेल नहीं भेजने को कहा.

गोशालाओं सुविधा की कमी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यूपी में गायों की देखरेख और गोशालाओं में बेहतर सुविधा का इंतजाम नहीं है. गोशालाएं सिर्फ दुधारू गायों को ही रखने में दिलचस्पी दिखा रही हैं. इसके साथ ही बूढ़ी और बीमार के साथ ही दूध न देने वाली गायों को लोग सड़कों पर छोड़ देते हैं और गोशालाएं भी इन्हें नहीं रखती हैं. इसके साथ ही गोशालाओं के बाहर घूमने वाली गायें लोगों की फसलों को बर्बाद कर रही हैं. किसानों को पहले सिर्फ नीलगायों से खतरा था, अब आवारा गायों से खतरा बना हुआ है.

आए दिन हो रहीं सड़क दुर्घटनाएं
हाईकोर्ट ने कहा कि बाहर सड़कों पर घूमने वाली गायें ट्रैफिक और लोगों के जीवन के लिए भी खतरा पैदा करती हैं. आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं. स्थानीय लोगों और पुलिस के डर की वजह से दूसरे लोग भी इन्हें न तो अपने साथ रखते हैं और न ही राज्य से बाहर भेजने की हिम्मत जुटा पाते हैं. गायों का परित्याग समाज पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है. गायों को उनके मालिकों के साथ रहने या फिर गोशालाओं में रखे जाने के नियम होने चाहिए. हाईकोर्ट ने अपने इसी निष्कर्ष के आधार पर आरोपी को जमानत देने को कहा.

इन तथ्यों के साथ अदालत ने शामली जिले के रहीम की जमानत अर्जी मंजूर कर ली. याचिकाकर्ता के खिलाफ शामली के थाना भवन में गोहत्या निवारण अधिनियम 1955 के तहत केस दर्ज हुआ था. इसी साल 5 अगस्त से आरोपी जेल में है, जबकि इसकी क्रिमिनल हिस्ट्री सिर्फ एक मुकदमे की ही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.