प्रयागराजः वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर पक्ष तथा राज्य सरकार को आपस में मिल बैठकर रास्ता निकालने का सुझाव दिया है. शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि उनकी क्या योजना है.
साथ ही अदालत ने मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण को भी इस याचिका में पक्षकार बनाने का निर्देश दिया है. अनंत शर्मा की जनहित याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति प्रितंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की. याचिका में कहा गया है कि गत वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बांके बिहारी मंदिर में इतनी भीड़ उमड़ी की भगदड़ से एक व्यक्ति की जान चली गई. श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कोई प्रबंध नहीं किया है.
इस पर कोर्ट ने जब मथुरा जिला प्रशासन व राज्य सरकार से जानकारी मांगी तो सरकार की ओर से कहा गया कि मंदिर के चारों तरफ एक कॉरिडोर बनाने का प्रस्ताव है, जिसके लिए जमीनें अधिग्रहित की जाएंगी. मंदिर के सेवादारों की ओर से इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए राज्य सरकार की योजना का विरोध किया गया है.
मंदिर पक्ष के अधिवक्ता संजय गोस्वामी का कहना है कि राज्य सरकार मंदिर के कामकाज में हस्तक्षेप करना चाहती है जो कि सेवादारों को मंजूर नहीं है, क्योंकि यह मंदिर एक प्राइवेट प्रॉपर्टी है. मामले में स्थानीय दुकानदारों ने भी अंतर हस्तक्षेपीय अर्जी दाखिल की है. उनका कहना है कि जिला प्रशासन ने उनकी दुकानों पर निशान लगा दिए हैं. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तिथि नियत करते हुए सभी पक्षकारों को सुझाव देने का निर्देश दिया है.
पढ़ेंः 7 माह बाद भक्तों के लिए खुला श्री बांके बिहारी मंदिर, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाव