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इलाहाबाद हाईकोर्ट : निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को राहत, रेलवे ट्रैक जाम करने का मुकदमा वापस

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद (Nishad Party President Dr Sanjay Nishad) के खिलाफ रेलवे ट्रैक जाम करने का मुकदमा वापस करने को अपनी मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने यह आदेश राज्य सरकार और संजय निषाद की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2023, 10:59 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट से निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद को राहत मिली है. कोर्ट ने उनके खिलाफ रेलवे ट्रैक जाम करने का मुकदमा वापस करने को अपनी मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने वाद वापसी की अर्जी खारिज करने के एसीजेएम गोरखपुर के आदेश को भी कानून विरुद्ध करार देते हुए रद्द कर दिया है. राज्य सरकार और संजय निषाद की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने दिया है.

राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल कर एसीजेएम गोरखपुर के 29 सितंबर 2023 के उसे आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत एसीजेएम ने विशेष लोक अभियोजन द्वारा संजय निषाद के खिलाफ मुकदमा वापसी की अर्जी को खारिज कर दिया था. संजय निषाद ने भी इस मामले में 482 सीआरपीसी के तहत याचिका दाखिल कर की थी. दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई.

राज्य की सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड ने कहा कि राज्य सरकार ने वाद वापसी की हाईकोर्ट से अनुमति लेने के बाद ट्रायल कोर्ट के समक्ष केस वापस लेने के लिए आवेदन किया था, जिसे ट्रायल कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामला अंतिम सुनवाई के स्तर पर लंबित है और वाद वापसी को लेकर हाईकोर्ट की अनुमति का कोई आदेश नहीं दिखाया जा सका है. शासकीय अधिवक्ता का कहना था कि एसीजेएम का आदेश तथ्यों और कानून के विपरीत है. कहा कि यह स्थापित है कि लोक अभियोजक किसी भी स्तर पर केस वापसी के लिए अर्जी दे सकता है. हाईकोर्ट द्वारा 21 मार्च 2023 को ही वाद वापसी की अनुमति दी जा चुकी है. लोक अभियोजक में स्वतंत्र रूप से अपने विवेक का प्रयोग किया है.

कोर्ट का कहना था कि ट्रायल कोर्ट को ऐसे मामलों में विचार करते समय उन आधारों की समीक्षा नहीं की करनी चाहिए जिन पर अभियोजन ने वाद वापसी का निर्णय लिया है, बल्कि उसे यह देखना होता है कि लोक अभियोजक ने अपने विवेक का प्रयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से किया है अथवा नहीं. कोर्ट ने एसीजेएम के आदेश को रद्द करते हुए वाद वापसी की मांग को मंजूर कर लिया है.

यह भी पढ़ें : विवाह संबंधों पर हाईकोर्ट की टिप्पणी : पति-पत्नी के मामूली झगड़ों को क्रूरता के रूप में देखेंगे तो टूट जाएंगे कई विवाह

यह भी पढ़ें : हेट स्पीच मामले में अब्बास अंसारी को आरोप मुक्त और ट्रायल रोकने के लिए हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट से निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद को राहत मिली है. कोर्ट ने उनके खिलाफ रेलवे ट्रैक जाम करने का मुकदमा वापस करने को अपनी मंजूरी दे दी है. कोर्ट ने वाद वापसी की अर्जी खारिज करने के एसीजेएम गोरखपुर के आदेश को भी कानून विरुद्ध करार देते हुए रद्द कर दिया है. राज्य सरकार और संजय निषाद की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति राजवीर सिंह ने दिया है.

राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल कर एसीजेएम गोरखपुर के 29 सितंबर 2023 के उसे आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत एसीजेएम ने विशेष लोक अभियोजन द्वारा संजय निषाद के खिलाफ मुकदमा वापसी की अर्जी को खारिज कर दिया था. संजय निषाद ने भी इस मामले में 482 सीआरपीसी के तहत याचिका दाखिल कर की थी. दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई हुई.

राज्य की सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड ने कहा कि राज्य सरकार ने वाद वापसी की हाईकोर्ट से अनुमति लेने के बाद ट्रायल कोर्ट के समक्ष केस वापस लेने के लिए आवेदन किया था, जिसे ट्रायल कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामला अंतिम सुनवाई के स्तर पर लंबित है और वाद वापसी को लेकर हाईकोर्ट की अनुमति का कोई आदेश नहीं दिखाया जा सका है. शासकीय अधिवक्ता का कहना था कि एसीजेएम का आदेश तथ्यों और कानून के विपरीत है. कहा कि यह स्थापित है कि लोक अभियोजक किसी भी स्तर पर केस वापसी के लिए अर्जी दे सकता है. हाईकोर्ट द्वारा 21 मार्च 2023 को ही वाद वापसी की अनुमति दी जा चुकी है. लोक अभियोजक में स्वतंत्र रूप से अपने विवेक का प्रयोग किया है.

कोर्ट का कहना था कि ट्रायल कोर्ट को ऐसे मामलों में विचार करते समय उन आधारों की समीक्षा नहीं की करनी चाहिए जिन पर अभियोजन ने वाद वापसी का निर्णय लिया है, बल्कि उसे यह देखना होता है कि लोक अभियोजक ने अपने विवेक का प्रयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से किया है अथवा नहीं. कोर्ट ने एसीजेएम के आदेश को रद्द करते हुए वाद वापसी की मांग को मंजूर कर लिया है.

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