प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के अंदर दान पात्र लगाने और पूजा के अधिकार की मांग में याचिका खारिज कर दी है. यह आवेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने दिया है.
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर मंदिर ट्रस्ट के अधिवक्ता विनीत संकल्प ने बताया कि कॉरिडोर निर्माण के समय याची जितेंद्र गिरि के मंदिर का भी कुछ हिस्सा लिया गया था. इसके लिए बाकायदा लगभग दो करोड़ 39 लाख रुपये की सेल डीड भी कराई गई थी. उन्होंने बताया कि काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की देखरेख मंदिर ट्रस्ट के सीईओ करते हैं. जितेंद्र गिरि व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि कॉरिडोर के अंदर दान पात्र लगाने की इजाजत नहीं दी जा सकती.
सरकार की ओर से यह भी बताया कि शनि देव का मंदिर विग्रह कॉरिडोर के बाहर स्थित है, उसका स्वरूप बना हुआ है. इसी मंदिर में कुछ शिवलिंग स्थापित थे, जो अब कॉरिडोर के अंदर स्थापित किए गए हैं. इनकी पूजा अर्चना अब मंदिर ट्रस्ट की ओर से की जाती है. ऐसे में कॉरिडोर के अंदर दान पात्र लगाने और पूजा अर्चना की इजाजत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी.
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