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बाहुबली विधायक विजय मिश्रा की जमानत अर्जी खारिज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली विधायक विजय मिश्रा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने आरोपों की गंभीरता और अपराधों में संलिप्तता को देखते हुए जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है.

allahabad high court news
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Jun 11, 2021, 6:02 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भदोही के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है. इनके खिलाफ रिश्तेदार कृष्ण मोहन तिवारी ने भदोही के गोपीगंज थाने में मकान पर कब्जा करने, जान से मारने की धमकी देने, अपने बेटे के नाम वसीयत करने का दबाव डालने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई है.

कोर्ट ने आरोपों की गंभीरता और अपराधों में संलिप्तता को देखते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश ने दिया है.

याची अधिवक्ता का कहना था कि वह सम्मानित व्यक्ति है. अधिकांश केस में बरी हो चुका है या केस वापस ले लिए गए हैं. जो बचे हैं राजनैतिक प्रतिद्वंदिता के कारण दर्ज कराए गए हैं. प्रश्नगत मामले में आरोप निराधार है. कोई वसीयत नहीं की गई है. मुकद्दमों का विचारण चल रहा है, जिसमें वह सहयोग कर रहा है. बरी केस में केवल एक के खिलाफ अपील लंबित है.

इसे भी पढ़ें- पशुधन अधिकारी भर्ती घोटाला: एसआईटी जांच पूरी न होने पर कोर्ट सख्त

सरकार की तरफ से कहा गया कि याची की दबंगई के चलते कोई एफआईआर दर्ज कराने की हिम्मत नहीं करता है. इस पर हत्या, दुराचार जैसे जघन्य आरोपों के केस दर्ज हैं. गवाह डर के मारे नहीं मिलते. अगर जमानत दी गई तो गवाहों पर दबाव डालेगा.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भदोही के बाहुबली विधायक विजय मिश्रा को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है. इनके खिलाफ रिश्तेदार कृष्ण मोहन तिवारी ने भदोही के गोपीगंज थाने में मकान पर कब्जा करने, जान से मारने की धमकी देने, अपने बेटे के नाम वसीयत करने का दबाव डालने के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई है.

कोर्ट ने आरोपों की गंभीरता और अपराधों में संलिप्तता को देखते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति ओम प्रकाश ने दिया है.

याची अधिवक्ता का कहना था कि वह सम्मानित व्यक्ति है. अधिकांश केस में बरी हो चुका है या केस वापस ले लिए गए हैं. जो बचे हैं राजनैतिक प्रतिद्वंदिता के कारण दर्ज कराए गए हैं. प्रश्नगत मामले में आरोप निराधार है. कोई वसीयत नहीं की गई है. मुकद्दमों का विचारण चल रहा है, जिसमें वह सहयोग कर रहा है. बरी केस में केवल एक के खिलाफ अपील लंबित है.

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सरकार की तरफ से कहा गया कि याची की दबंगई के चलते कोई एफआईआर दर्ज कराने की हिम्मत नहीं करता है. इस पर हत्या, दुराचार जैसे जघन्य आरोपों के केस दर्ज हैं. गवाह डर के मारे नहीं मिलते. अगर जमानत दी गई तो गवाहों पर दबाव डालेगा.

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