प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर को होने जा रही डिग्री कालेजों के प्राचार्य की भर्ती परीक्षा में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार और आयोग से याचिका पर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने डॉ. अनुपम सोनी की याचिका पर दिया है. याचिका पर आयोग के अधिवक्ता बी एन सिंह ने प्रतिवाद किया. उनका कहना था कि याची को आवेदन भरने का मौका दिया गया, किन्तु उसने आवेदन ही नहीं किया है. याची का कहना है कि उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग ने 2 मार्च को प्राचार्य पद भरने का विज्ञापन संख्या 49 निकाला था. उसने विज्ञापन संख्या 48 में आवेदन दिया था.
18 अप्रैल 2019 को स्पष्टीकरण प्रकाशित किया गया था. जिसमें आवेदन के नॉर्म को स्पष्ट किया गया है और कहा गया कि विज्ञापन संख्या 48 के अभ्यर्थियों को विज्ञापन संख्या 49 में नये सिरे से आवेदन करना होगा. विज्ञापन संख्या 48 समाप्त कर नया विज्ञापन जारी किया गया है. याची अपरिहार्य कारणों से आवेदन जमा नहीं कर सका. उसने विज्ञापन संख्या 48 में आवेदन दिया था. विज्ञापन संख्या 49 में उसे नया आवेदन देने की जरूरत नहीं है. उसे 29 अक्टूबर की परीक्षा में बैठने दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि याची यह आधार नहीं ले रहा कि उसे आयोग द्वारा जारी स्पष्टीकरण की जानकारी नहीं हुई. उसने जानते हुए नया आवेदन नहीं दिया. ऐसे में अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती और राज्य सरकार व आयोग से जवाब तलब किया है. इस याचिका की सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी.
ध्वस्तीकरण के खिलाफ अमीना बेगम को राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अमीना बेगम को जहांगीराबाद गंजिया प्रयागराज व चक दोंदी, नैनी, प्रयागराज स्थित भवनों के ध्वस्तीकरण से बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने पीडीए को किसी प्रकार की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने याची को एक हफ्ते में ध्वस्तीकरण के खिलाफ अपना प्रत्यावेदन पीडीए के उपाध्यक्ष को देने तथा उसपर सुनवाई कर तीन हफ्ते में उपाध्यक्ष को सकारण आदेश पारित करने का निर्देश दिया है और तब तक चार हफ्ते तक उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीस तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने दशहरे की छुट्टी के दौरान दिया है. याची का कहना था कि अधिकारी लगातार मकान ध्वस्त करने की धमकी दे रहे हैं. याची को सुने बिना मनमानी कार्रवाई करने पर आमादा है. जिस पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है.