प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रेमिका की अंतरंग तस्वीरें उसके परिवार के सदस्यों के साथ साझा करने वाले आरोपी को जमानत देने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह पीड़िता के साथ विश्वासघात करने का एक विशेष मामला है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने बलराम जायसवाल की जमानत अर्जी पर दिया. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ने आरोपी को विश्वास और समझ के तहत अपनी अंतरंग तस्वीरों को रखने की अनुमति दी थी, लेकिन आरोपी ने उसकी पीठ में छुरा घोंपा. विश्वास का गला घोंटा और उसके साथ धोखा करते हुए तस्वीर वायरल कर दी. वहीं, कोर्ट ने एक अन्य मामले में अवैध कब्जा करने वालों पर कार्रवाई का आदेश दिया है.
मालूम हो कि दोनों फेसबुक प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक-दूसरे के संपर्क में आए और उसके बाद नजदीकी बढ़ी और एक रिश्ते में आ गए. शालीनता और शिष्टता की सभी हदें पार करने के बाद याची आरोपी ने उसके साथ संबंध बनाया. इसके बाद कथित तौर पर उसने लड़की की कुछ अंतरंग वीडियो और तस्वीरें लीं और उसको ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. लड़की को धमकाने और शर्मिंदा करने के लिए कामुक और आपत्तिजनक व्हाट्सएप चैट भेजना शुरू कर दिया.
इसके अलावा फरवरी 2021 में जब वह अपने कमरे में जा रही थी, आरोपी ने रास्ते में उसे रोक लिया. उसके बाद उसने उसके साथ दुर्व्यवहार किया. लड़की ने कोर्ट में बयान दिया कि उसकी तस्वीरें लेने के बाद आरोपी ने उसे ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. उसे धमकी दी कि वह उन वीडियो और तस्वीरों को उसके परिवार के सदस्यों को भेज देगा और इसे वायरल कर देगा.
आखिरकार आरोपी ने वह सारी तस्वीरें उसके परिवार वालों को भेज दीं और उन तस्वीरों को सार्वजनिक करने की धमकी भी दी. इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया और अगस्त 2021 से उसके खिलाफ अलग अलग धारा में एफआईआर दर्ज कराई गई। इस मामले में आरोपी अभी जेल में हैं. न्यायालय ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कहा कि आरोपी के कृत्यों ने उसके स्वार्थी और अदूरदर्शी दृष्टिकोण को दर्शाया और उसने सहमति से संबंध स्थापित करने के लिए पीड़िता की गरिमा का अपमान किया.
न्यायालय ने टिप्पणी की "पीड़िता ने आरोपी को विश्वास और समझ के तहत उन तस्वीरों को रखने की अनुमति दी है, लेकिन आवेदक ने अब उसकी पीठ में छुरा घोंप दिया और बस अपनी बात मनवाने के लिए उसे धोखा दिया. स्वाभाविक रूप से, पीड़िता को भविष्य में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. इन परिस्थितियों में आरोपी को इस पाप की कीमत चुकाए बिना स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि आरोपी किसी सहानुभूति के लायक नहीं है और अर्जी खारिज कर दी.
वहीं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जौनपुर के जफराबाद में राजेपुर गांव सभा के चकमार्ग पर अवैध कब्जा हटाकर दोषियों से नुकसान की भरपाई करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने जौनपुर के जिलाधिकारी को निर्देश देते 7 जुलाई को कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की है.
राजेपुर गांव सभा के चकमार्ग पर अवैध कब्जा मामले की जनहित याचिका विवेक कुमार यादव ने दर्ज कराई थी. न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने सुनवाई करते हुए आदेश दिया. याचिका पर अधिवक्ता आरएन यादव और अभिषेक कुमार यादव ने बहस की. इनका कहना था कि विपक्षी संख्या 6 से 11 ने गांव सभा के चकमार्ग पर अतिक्रमण कर अवैध निर्माण कर लिया है. जिसकी जांच कर हटाया जाए. कोर्ट ने जिलाधिकारी को जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि कोई दिक्कत पेश आये तो कोर्ट को अवगत कराये और उचित निर्देश प्राप्त करें.
कोर्ट ने राजस्व प्राधिकारियों को भी सरकारी सार्वजनिक जमीन पर अतिक्रमण पाये जाने पर ध्वस्तीकरण करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जरूरत पड़े तो पुलिस की मदद लें. कोर्ट ने एसपी जौनपुर को पुलिस बल मुहैया कराने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि जांच के बाद जिलाधिकारी के आदेश पर पीड़ित पक्ष का एक हफ्ते में जवाब लेकर तय करें. अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही में खर्च की वसूली अतिक्रमण करने वाले लोगों से की जाय. यह सारी कार्यवाही तीन माह में पूरी कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.
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