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यूपी में चल रहे हुक्का बार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लगायी रोक

उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के प्रसार को देखते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश के रेस्टोरेंट और कैफे में चल रहे हुक्का बार पर रोक लगाई है. इस संबंध में न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को रेस्टोरेंट और कैफे में हुक्का बार की अनुमति न देने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने इस बारे में मुख्य सचिव से अनुपालन रिपोर्ट तलब करने को भी कहा है.

इलाहाबाद हाइकोर्ट
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Published : Sep 2, 2020, 7:53 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के रेस्टोरेंट और कैफे में चल रहे हुक्का बार पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह किसी भी रेस्टोरेंट और कैफे में हुक्का बार चलाने की अनुमति न दें. कोर्ट ने मुख्य सचिव से 30 सितंबर तक इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी है. इसके साथ ही कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश की प्रति मुख्य सचिव और प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को अनुपालन के लिए भेजने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने अधिवक्ता विनायक मित्तल को स्वतः कायम जनहित याचिका पर पक्ष रखने के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय के एलएलबी छात्र हरगोविन्द पांडेय के पत्र पर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है. हाईकोर्ट ने इसके फैलाव को रोकने के लिए मुख्य सचिव को रोड मैप तैयार करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही यह टिप्पणी भी की है कि बिना लॉकडाउन के कोरोना के प्रसार को रोकने में कोई मदद नहीं मिलने वाली.

कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन के बावजूद कोरोना जंगल की आग की तरह फैलता जा रहा है. यह मानव जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है. हम घने अंधेरे और जंगल के बीच खडे हैं. कल क्या होगा इसका पता नहीं है. यदि रैस्टोरेंट और कैफे में हुक्का बार पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो यह सामुदायिक संक्रमण का रूप ले लेगा.

एलएलबी छात्र ने इस संबंध में अधिकारियों को लिखा था किन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई. कोर्ट ने भी मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि क्यों न याचिका स्वीकार कर ली जाये. इस नोटिस पर कोई जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए हुक्का बार की अनुमति न देने का समादेश जारी कर उसका पालन करने का आदेश दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के रेस्टोरेंट और कैफे में चल रहे हुक्का बार पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि वह किसी भी रेस्टोरेंट और कैफे में हुक्का बार चलाने की अनुमति न दें. कोर्ट ने मुख्य सचिव से 30 सितंबर तक इस आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी है. इसके साथ ही कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश की प्रति मुख्य सचिव और प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को अनुपालन के लिए भेजने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने अधिवक्ता विनायक मित्तल को स्वतः कायम जनहित याचिका पर पक्ष रखने के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता तथा न्यायमूर्ति शमीम अहमद की खंडपीठ ने लखनऊ विश्वविद्यालय के एलएलबी छात्र हरगोविन्द पांडेय के पत्र पर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है. हर दिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है. हाईकोर्ट ने इसके फैलाव को रोकने के लिए मुख्य सचिव को रोड मैप तैयार करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही यह टिप्पणी भी की है कि बिना लॉकडाउन के कोरोना के प्रसार को रोकने में कोई मदद नहीं मिलने वाली.

कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन के बावजूद कोरोना जंगल की आग की तरह फैलता जा रहा है. यह मानव जीवन के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है. हम घने अंधेरे और जंगल के बीच खडे हैं. कल क्या होगा इसका पता नहीं है. यदि रैस्टोरेंट और कैफे में हुक्का बार पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो यह सामुदायिक संक्रमण का रूप ले लेगा.

एलएलबी छात्र ने इस संबंध में अधिकारियों को लिखा था किन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई. कोर्ट ने भी मुख्य सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा कि क्यों न याचिका स्वीकार कर ली जाये. इस नोटिस पर कोई जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट ने सख्त रूख अपनाते हुए हुक्का बार की अनुमति न देने का समादेश जारी कर उसका पालन करने का आदेश दिया है.

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