प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारी रहे डॉ. अवधेश कुमार सिंह को तदर्थ सेवा अवधि जोड़कर पेंशन आदि लाभ पाने का हकदार माना है और उनकी नियमित सेवा अवधि कम होने के कारण पेंशन देने से इनकार करने के आदेश को रद्द कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने कोर्ट ने याची को नियुक्ति तिथि 9 मई 1992 से 16 मार्च 2015 तक की पूरी सेवा अवधि के आधार पर पेंशन आदि सभी परिलाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने डॉ. अवधेश कुमार सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है. याचिका पर अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र ने बहस की. याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि भानु प्रताप शर्मा केस में कोर्ट ने तदर्थ सेवा अवधि को शामिल कर पेंशन निर्धारण करने का अधिकार निर्धारित किया है. इसकी अनदेखी कर याची की नियमित सेवा अवधि को ही जोड़ा गया और अवधि कम होने के कारण पेंशन देने से इनकार कर दिया गया. जिसे चुनौती दी गई थी.
याची की नियुक्ति तदर्थ रूप से साल 1992 में की गई और 2005 में उसे नियमित किया गया. याची का दावा था कि 1992 से सेवा अवधि जोड़ी जाय, जिससे वह पेंशन योजना का लाभ पाने का हकदार हो जायेगा. किन्तु विभाग केवल नियमित सेवा अवधि को जोड़कर पेंशन योजना का लाभ देने से इनकार कर दिया था.
बिना चार्जशीट दिये पांच माह से निलंबित रखने के आदेश पर रोक
प्रयागराज के एसएसपी कार्यालय में कार्यरत एसआई एम. विजय कुमार केशरी को बड़ी राहत देते हुए बिना आरोप पत्र दिए पांच माह तक निलंबित रखने के आदेश पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है.
कोर्ट ने जब सरकार से जानकारी मांगी तो आनन-फानन में 12 अगस्त 2021को चार्जशीट तैयार की और 13 अगस्त को तामील कर दी. कहा कि गैर हाजिर रहने के कारण चार्जशीट नहीं दी जा सकी थी. कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया और कहा कि याची को निलंबन भत्ता भी नहीं दिया जा रहा है. कोर्ट ने याची को सेवा में बहाल कर अब से नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है. साथ ही याची को दो हफ्ते में चार्जशीट का जवाब देने और विभाग को जांच प्रक्रिया तीन माह में पूरी करने का भी निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने एम. विजय कुमार केशरी की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता बी एन सिंह राठौर ने बहस की. याची के वकील का कहा कि निलंबन के पांच माह बाद भी चार्जशीट नहीं दी गई और न ही निलंबन भत्ता दिया गया है. ऐसे निराधार आरोप लगे हैं जिसके आधार पर बड़ा दंड नहीं दिया जा सकता. जिस पर कोर्ट ने सरकार से जानकारी मांगी तो अधूरी दी। दुबारा पूछा चार्जशीट क्यों नहीं दी तो बताया गैर हाजिर थे, अब दे दी गई है. कोर्ट को बात सही नहीं लगी. क्योंकि एक दिन पहले ही चार्जशीट तैयार कर दे दी गई. कोर्ट ने विभागीय जांच पूरी करने का निर्देश दिया है.