प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध सीएमपी डिग्री कॉलेज में छात्र का एलएलएम में दाखिला निरस्त करने के मामले में सुनवाई की. कोर्ट ने कॉलेज प्राचार्य को एक सप्ताह में नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अमिताभ सिंह की याचिका पर अधिवक्ता जाह्नवी सिंह को सुनकर दिया है. छात्र ने बिना कोई कारण बताए दाखिला निरस्त करने के आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी.
अधिवक्ता जाह्नवी सिंह का तर्क था कि याची का एलएलएम पाठ्यक्रम में दाखिला हुआ था. वह पूरे सत्र की फीस जमा कर चुका है और कक्षाएं चल रही हैं. बाद में उसका दाखिला निरस्त कर दिया गया. दाखिला निरस्त करने से पूर्व छात्र को न तो कोई नोटिस जारी किया गया और न ही उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया. अधिवक्ता जाह्नवी सिंह का कहना था कि नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया है.
कॉलेज प्रबंधन ने गलत कट ऑफ मेरिट जारी की थी. बाद में अपनी गलती का एहसास होने पर उन्होंने छात्र का दाखिला निरस्त कर दिया. जबकि गलत कट ऑफ मेरिट जारी करने में छात्र की कोई गलती नहीं है. उसे प्रबंधन की गलती की सजा दी जा रही है. ऐसा करने से छात्र का पूरा कॅरियर बर्बाद हो जाएगा. विश्वविद्यालय ने गलत आरक्षण देने के कारण याची का प्रवेश ले लिया गया और बाद में उसे सुने बगैर प्रवेश निरस्त कर दिया गया. सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए प्राचार्य को इस मामले में नए सिरे से निर्णय लेने का निर्देश दिया है.
आईएएस श्रुति सिंह को हाइकोर्ट ने जारी किया वारंटः वहीं, हाईकोर्ट ने समय देने के बावजूद आदेश का पालन न करने पर को जानबूझकर आदेश की अवहेलना मानते हुए आईएएस श्रुति सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है. हाइकोर्ट ने उन्हें आरोप तय करने के लिए हाजिर होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी को आदेश तामीला कराकर हलफनामा दाखिल करने और श्रुति सिंह की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल ने जया दुबे की अवमानना याचिका पर दिया है. कोर्ट ने याची का दिव्यांग कोटे में एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश पाने का हकदार करार देते हुए सत्र 2022-23 में प्रवेश देने का निर्देश दिया था. इस आदेश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना याचिका पर कोर्ट ने एक माह में पालन का समय देते हुए कहा कि अनुपालन रिपोर्ट दें अन्यथा आरोप तय होगा. फिर भी आदेश का पालन नहीं हुआ तो कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए जमानती वारंट जारी किया है और 30 जनवरी को उपस्थित होने का निर्देश दिया है.
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