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हाईकोर्ट बार एसो. से आयकर वसूली मामले में हाईकोर्ट ने आयकर विभाग को दिया आदेश - हाईकोर्ट समाचार

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (Allahabad High Court Bar Association) से आयकर वसूली मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने आयकर विभाग (Income Tax Department) को विचार करने का आदेश दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन
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Published : Sep 17, 2021, 10:09 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (Allahabad High Court Bar Association) से 40 लाख रुपये आयकर वसूली मामले में दाखिल याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने आयकर विभाग (Income Tax Department) को नियमानुसार विचार करने के लिए वापस भेज दिया है. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई कर उचित आदेश पारित किया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति एनए मुनीस और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने बार एसोसिएशन की दो याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है.

बार एसोसिएशन ने याचिका दाखिल कर वर्ष 2016- 17 में आयकर विभाग द्वारा जारी असेसमेंट नोटिस को चुनौती दी थी. दाखिल याचिका में कहा गया कि बार एसोसिएशन अपने सदस्यों के आपसी लाभ के लिए कार्य करता है और इसकी आमदनी का एकमात्र जरिया फोटो एफिडेविट सेंटर से होने वाली आमदनी और सदस्यता शुल्क है. इसलिए एसोसिएशन आयकर के दायरे में नहीं आएगा.

कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट बार को एक माह के भीतर अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा आयकर विभाग को निर्देश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर बार एसोसिएशन को पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी करने का कारण बताए. बार एसोसिएशन उस पर अपनी आपत्ति दाखिल करेगा, इसके चार सप्ताह के भीतर आयकर अधिकारी बार एसोसिएशन को सुनकर उसकी आपत्तियों पर सकारण आदेश पारित करेंगे. इसी प्रकार से आयकर निर्धारण वर्ष 2017-18 के मामले में कोर्ट ने आयकर आयुक्त को बार एसोसिएशन द्वारा दाखिल पुनरीक्षण अर्जी को सुनकर निर्णय पारित करने का आदेश दिया है. बार एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता व बार के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह, प्रभा शंकर मिश्र व अन्य वकीलों ने पक्ष रखा.

इसे भी पढ़ें-शिक्षकों का वेतन भुगतान में देरी, हाईकोर्ट ने डीआईओएस को हिरासत में लेने का दिया आदेश

बता दें कि आयकर विभाग ने बार एसोसिएशन पर पेनाल्टी लगाई थी, जिसके खिलाफ आयकर आयुक्त के समक्ष रिवीजन दाखिल किया गया था. इसी दौरान आयकर अधिकारी ने पेनाल्टी आदेश वापस ले लिया, जबकि फॉर्म 68 पर आपत्ति दाखिल किए बिना पेनाल्टी आदेश वापस नहीं लिया जा सकता है. इस स्थिति में बार एसोसिएशन द्वारा दाखिल पुनरीक्षण अर्जी अर्थहीन हो गई थी, जिसे हाईकोर्ट ने निस्तारित करने का निर्देश दिया.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (Allahabad High Court Bar Association) से 40 लाख रुपये आयकर वसूली मामले में दाखिल याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने आयकर विभाग (Income Tax Department) को नियमानुसार विचार करने के लिए वापस भेज दिया है. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई कर उचित आदेश पारित किया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति एनए मुनीस और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने बार एसोसिएशन की दो याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है.

बार एसोसिएशन ने याचिका दाखिल कर वर्ष 2016- 17 में आयकर विभाग द्वारा जारी असेसमेंट नोटिस को चुनौती दी थी. दाखिल याचिका में कहा गया कि बार एसोसिएशन अपने सदस्यों के आपसी लाभ के लिए कार्य करता है और इसकी आमदनी का एकमात्र जरिया फोटो एफिडेविट सेंटर से होने वाली आमदनी और सदस्यता शुल्क है. इसलिए एसोसिएशन आयकर के दायरे में नहीं आएगा.

कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट बार को एक माह के भीतर अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा आयकर विभाग को निर्देश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर बार एसोसिएशन को पुनर्मूल्यांकन नोटिस जारी करने का कारण बताए. बार एसोसिएशन उस पर अपनी आपत्ति दाखिल करेगा, इसके चार सप्ताह के भीतर आयकर अधिकारी बार एसोसिएशन को सुनकर उसकी आपत्तियों पर सकारण आदेश पारित करेंगे. इसी प्रकार से आयकर निर्धारण वर्ष 2017-18 के मामले में कोर्ट ने आयकर आयुक्त को बार एसोसिएशन द्वारा दाखिल पुनरीक्षण अर्जी को सुनकर निर्णय पारित करने का आदेश दिया है. बार एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता व बार के अध्यक्ष अमरेंद्र नाथ सिंह, प्रभा शंकर मिश्र व अन्य वकीलों ने पक्ष रखा.

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बता दें कि आयकर विभाग ने बार एसोसिएशन पर पेनाल्टी लगाई थी, जिसके खिलाफ आयकर आयुक्त के समक्ष रिवीजन दाखिल किया गया था. इसी दौरान आयकर अधिकारी ने पेनाल्टी आदेश वापस ले लिया, जबकि फॉर्म 68 पर आपत्ति दाखिल किए बिना पेनाल्टी आदेश वापस नहीं लिया जा सकता है. इस स्थिति में बार एसोसिएशन द्वारा दाखिल पुनरीक्षण अर्जी अर्थहीन हो गई थी, जिसे हाईकोर्ट ने निस्तारित करने का निर्देश दिया.

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