ETV Bharat / state

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन में रह रहे जोड़े को सुरक्षा देने का दिया निर्देश - न्यायमूर्ति दिनेश पाठक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे बालिग युगल को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इससे पहले हमने लिव-इन-रिलेशन में रह रहे एक युगल की याचिका खारिज कर दी थी क्योंकि उनमें एक याची पहले से विवाहित थी. कोर्ट ने कहा कि हम लिव-इन-रिलेशनशिप के विरुद्ध नहीं हैं.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.
author img

By

Published : Jun 20, 2021, 3:57 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे बालिग युगल को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इससे पहले हमने लिव-इन-रिलेशन में रह रहे एक युगल की याचिका खारिज कर दी थी क्योंकि उनमें एक याची पहले से विवाहित थी. कोर्ट ने कहा कि हम लिव-इन-रिलेशनशिप के विरुद्ध नहीं हैं.

न्यायमूर्ति डॉ. केजे ठाकर एवं न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने यह आदेश लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे बालिग युगल की याचिका पर दिया है. साथ ही पुलिस को याचियों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हुए कहा कि वे लिव-इन-रिलेशनशिप में थे लेकिन बाद में उन्होंने एक-दूसरे से शादी कर ली. इसलिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में दिए गए आदेशों के मद्देनजर वे सुरक्षा के हकदार हैं.

कोर्ट ने कहा कि हाल ही में एक युगल को संरक्षण देने से वंचित कर दिया था क्योंकि उनमें से एक विवाहित थी. वह याचिका खारिज करते हुए पांच हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया था क्योंकि महिला पहले से ही शादीशुदा थी और किसी अन्य पुरुष के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही थी, जो हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान के विपरीत है. इस मामले में याचियों ने इस आशंका पर याचिका दाखिल की थी कि उन्हें अपने परिवारों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है.

इसे भी पढे़ं- इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे बालिग युगल को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि इससे पहले हमने लिव-इन-रिलेशन में रह रहे एक युगल की याचिका खारिज कर दी थी क्योंकि उनमें एक याची पहले से विवाहित थी. कोर्ट ने कहा कि हम लिव-इन-रिलेशनशिप के विरुद्ध नहीं हैं.

न्यायमूर्ति डॉ. केजे ठाकर एवं न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने यह आदेश लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे बालिग युगल की याचिका पर दिया है. साथ ही पुलिस को याचियों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हुए कहा कि वे लिव-इन-रिलेशनशिप में थे लेकिन बाद में उन्होंने एक-दूसरे से शादी कर ली. इसलिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में दिए गए आदेशों के मद्देनजर वे सुरक्षा के हकदार हैं.

कोर्ट ने कहा कि हाल ही में एक युगल को संरक्षण देने से वंचित कर दिया था क्योंकि उनमें से एक विवाहित थी. वह याचिका खारिज करते हुए पांच हजार रुपये का हर्जाना भी लगाया था क्योंकि महिला पहले से ही शादीशुदा थी और किसी अन्य पुरुष के साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही थी, जो हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान के विपरीत है. इस मामले में याचियों ने इस आशंका पर याचिका दाखिल की थी कि उन्हें अपने परिवारों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ सकता है.

इसे भी पढे़ं- इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट की वैधता को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.