प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को रेलवे झांसी मंडल के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर (Chief Project Manager of Railway Jhansi Division) पर एक करोड़ रुपये का हर्जाना लगाया है. यह हर्जाना 2014 से कोर्ट को गुमराह करने व याची को परेशान करने के लिए लगाया गया है. कोर्ट ने रेलवे झांसी मंडल को कानूनी प्रक्रिया अपनाए बगैर जबरन कब्जा की गई कृषि भूमि का नए सिरे से ब्याज सहित मुआवजा तय करने का निर्देश दिया.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि रेलवे झांसी मंडल के चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर कंस्ट्रक्शन डिवीजन याची के नाम से एक करोड़ के डिमांड ड्राफ्ट के साथ व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें. इस आदेश का पालन नहीं किए जाने पर रेलवे के संबंधित अधिकारी के खिलाफ कोर्ट को गुमराह करने पर प्रतिकूल आदेश किया जाएगा. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल एवं न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की खंडपीठ ने महोबा के चंदन चांदपुर गांव निवासी चिरंजी लाल की याचिका पर दिया.
कोर्ट ने गत 31 जनवरी को रेलवे को मार्केट रेट से नियमानुसार जमीन का मुआवजा तय करने का आदेश देते हुए पूछा था कि क्यों न याची को एक करोड़ रुपये हर्जाना दिया जाए. मुख्य प्रोजेक्ट मैनेजर कंस्ट्रक्शन ने व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर बताया कि जिला प्रशासन से भूमि अधिग्रहण के लिए आग्रह किया गया है लेकिन हर्जाने के मुद्दे पर कुछ नहीं कहा. यह भी कहा कि सहमति से मुआवजा तय किया गया है.
इस पर कोर्ट ने कहा बिना कानूनी कार्यवाही किए जबरन जमीन हथिया ली, तो सहमति का सवाल ही नहीं उठता. कोर्ट (Allahabad High Court Order) ने डीएम को राजस्व अधिकारियों की मदद लेकर मार्केट रेट पर ब्याज सहित मुआवजा तय करने का निर्देश दिया है.