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कांस्टेबल भर्ती 2018: इंटरमीडिएट का प्रमाण पत्र दाखिल न कर पाने वाले अभ्यर्थी को हाईकोर्ट ने दी राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को कांस्टेबल भर्ती 2018 के एक मामले की सुनवाई की. इस मामले में कोर्ट ने आदेश दिया कि याची के इंटरमीडिएट प्रमाण पत्र की जांच करने के बाद उसकी नियुक्ति पर 4 सप्ताह में निर्णय लिया जाए.

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अभ्यर्थी को हाईकोर्ट ने दी राहत
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Published : Feb 18, 2020, 3:18 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती 2018 में इंटरमीडिएट का प्रमाण पत्र दाखिल न कर पाने वाले अभ्यर्थी को राहत दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड को निर्देश दिया है कि याची के दस्तावेजों की जांच कर नियुक्ति दी जाए. गोरखपुर के रत्नेश यादव की याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.

याची का पक्ष रख रहे अधिवक्ता श्री मान सिंह का कहना था कि याची ने 11 दिसंबर 2019 को दस्तावेज सत्यापन के लिए पुलिस लाइन गोरखपुर में अपने शैक्षणिक दस्तावेज प्रस्तुत किए. इनमें हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के अंकपत्र प्रस्तुत करने थे. याची रत्नेश के पास हाई स्कूल का प्रमाण पत्र था, जबकि इंटरमीडिएट का प्रमाण पत्र नहीं था. उसके अनुरोध पर अधिकारियों ने उसे मौका दिया और याची ने 1 घंटे बाद इंटरमीडिएट का प्रमाण पत्र भी जमा कर दिया. इसके बावजूद उसका नाम चयन सूची में नहीं शामिल किया गया.

हाई कोर्ट ने इस मामले में पुलिस भर्ती बोर्ड से जवाब मांगा था. बोर्ड की ओर से कहा गया कि विज्ञापन में यह प्रावधान था कि ऑनलाइन आवेदन के समय याची के पास सभी शैक्षणिक दस्तावेज होने चाहिए. आवेदन के समय सभी दस्तावेज जमा न कर पाने की वजह से उसे सूची में शामिल नहीं किया गया.

इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि याची ने अपने अंक पत्र जमा किए थे तो यह माना जाएगा कि उसके पास प्रमाण पत्र भी होगा. सिर्फ प्रमाण पत्र न होने के आधार पर चयन से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि याची द्वारा प्रस्तुत इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्र की जांच करने के बाद उसकी नियुक्ति पर 4 सप्ताह में निर्णय लिया जाए.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांस्टेबल भर्ती 2018 में इंटरमीडिएट का प्रमाण पत्र दाखिल न कर पाने वाले अभ्यर्थी को राहत दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस भर्ती बोर्ड को निर्देश दिया है कि याची के दस्तावेजों की जांच कर नियुक्ति दी जाए. गोरखपुर के रत्नेश यादव की याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.

याची का पक्ष रख रहे अधिवक्ता श्री मान सिंह का कहना था कि याची ने 11 दिसंबर 2019 को दस्तावेज सत्यापन के लिए पुलिस लाइन गोरखपुर में अपने शैक्षणिक दस्तावेज प्रस्तुत किए. इनमें हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के अंकपत्र प्रस्तुत करने थे. याची रत्नेश के पास हाई स्कूल का प्रमाण पत्र था, जबकि इंटरमीडिएट का प्रमाण पत्र नहीं था. उसके अनुरोध पर अधिकारियों ने उसे मौका दिया और याची ने 1 घंटे बाद इंटरमीडिएट का प्रमाण पत्र भी जमा कर दिया. इसके बावजूद उसका नाम चयन सूची में नहीं शामिल किया गया.

हाई कोर्ट ने इस मामले में पुलिस भर्ती बोर्ड से जवाब मांगा था. बोर्ड की ओर से कहा गया कि विज्ञापन में यह प्रावधान था कि ऑनलाइन आवेदन के समय याची के पास सभी शैक्षणिक दस्तावेज होने चाहिए. आवेदन के समय सभी दस्तावेज जमा न कर पाने की वजह से उसे सूची में शामिल नहीं किया गया.

इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि याची ने अपने अंक पत्र जमा किए थे तो यह माना जाएगा कि उसके पास प्रमाण पत्र भी होगा. सिर्फ प्रमाण पत्र न होने के आधार पर चयन से वंचित नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि याची द्वारा प्रस्तुत इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्र की जांच करने के बाद उसकी नियुक्ति पर 4 सप्ताह में निर्णय लिया जाए.

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