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हाईकोर्ट से आजम खान को बड़ी राहत, जमानत निरस्त करने की प्रदेश सरकार की अर्जी खारिज - रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट

पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार की जौहर विश्वविद्यालय के लिए जमीन हड़पने के मुकदमे में जमानत निरस्त करने की मांग को खारिज कर दिया.

अर्जी खारिज
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Published : Mar 3, 2023, 8:24 PM IST

प्रयागराज: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहत दी है. कोर्ट ने आजम खान को ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई जमानत निरस्त करने की प्रदेश सरकार की अर्जी पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार के समक्ष यह विकल्प खुला है कि जिस अदालत ने आजम खान को जमानत दी है. उसी अदालत के समक्ष जमानत निरस्त कराने की अर्जी दाखिल करें. इस अर्जी पर न्यायमूर्ति डीके सिंह ने सुनवाई की.

प्रदेश सरकार की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में आजम खान को 11 मुकदमों में मिली जमानत निरस्त कराने के लिए अर्जी दाखिल की गई थी. यह सभी मुकदमे जौहर विश्वविद्यालय के लिए किसानों की जमीन जबरन हड़पे जाने के मामले में रामपुर के अजीम नगर थाने में दर्ज दर्ज कराए गए थे. कुछ दिन पूर्व रामपुर की अदालत ने इन 11 मामलों में आजम खान की जमानत मंजूर कर ली थी. प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने आजम की जमानत मंजूर करते समय उसके लंबे आपराधिक इतिहास पर विचार नहीं किया. जबकि आजम खान के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपराधिक इतिहास सहित सभी तत्वों पर विचार करने के बाद ही जमानत मंजूर की है.

वकील का कहना था कि जमानत देने और जमानत निरस्त करने के मानक अलग-अलग होते हैं. हाई कोर्ट को तब तक जमानत निरस्त नहीं करनी चाहिए जब तक इस जमानत का दुरुपयोग न किया जाए या अभियुक्त ट्रायल में सहयोग न कर रहा हो. आजम खान की ओर से यह भी कहा गया कि इस मामले में एफआईआर 13 साल बाद दर्ज कराई गई है. इसमें चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. इस मुकदमे का ट्रायल चल रहा है. इस स्थिति में जमानत निरस्त करना उचित नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के समक्ष उसी अदालत में जमानत निरस्त कराने की अर्जी देने का विकल्प खुला हुआ है. जिस अदालत ने आजम खान को जमानत दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार की सभी अर्जियां निस्तारित कर दी.

मुकदमा स्थानांतरित करने की मांग नामंजूरः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद आजम खान की ओर से रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में चल रहे अपने मुकदमों का ट्रायल प्रदेश के किसी अन्य जिले में स्थानांतरित करने की मांग नामंजूर कर दी है. आजम खान ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने सभी मुकदमे दूसरे जिले में स्थानांतरित करने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने कहा कि जिस पीठासीन अधिकारी से उनको शिकायत थी उनका स्थानांतरण हो चुका है. अब नए पीठासीन अधिकारी आ गए हैं. इस स्थिति में आजम खान के पास अब कोई शिकायत शेष नहीं है.

यह भी पढ़ें- Court of Assembly : 19 साल पहले मुलायम का पुतला जलते ही विधायक बिश्नोई पर बरसने लगी थीं लाठियां

प्रयागराज: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राहत दी है. कोर्ट ने आजम खान को ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई जमानत निरस्त करने की प्रदेश सरकार की अर्जी पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार के समक्ष यह विकल्प खुला है कि जिस अदालत ने आजम खान को जमानत दी है. उसी अदालत के समक्ष जमानत निरस्त कराने की अर्जी दाखिल करें. इस अर्जी पर न्यायमूर्ति डीके सिंह ने सुनवाई की.

प्रदेश सरकार की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में आजम खान को 11 मुकदमों में मिली जमानत निरस्त कराने के लिए अर्जी दाखिल की गई थी. यह सभी मुकदमे जौहर विश्वविद्यालय के लिए किसानों की जमीन जबरन हड़पे जाने के मामले में रामपुर के अजीम नगर थाने में दर्ज दर्ज कराए गए थे. कुछ दिन पूर्व रामपुर की अदालत ने इन 11 मामलों में आजम खान की जमानत मंजूर कर ली थी. प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने आजम की जमानत मंजूर करते समय उसके लंबे आपराधिक इतिहास पर विचार नहीं किया. जबकि आजम खान के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने अपराधिक इतिहास सहित सभी तत्वों पर विचार करने के बाद ही जमानत मंजूर की है.

वकील का कहना था कि जमानत देने और जमानत निरस्त करने के मानक अलग-अलग होते हैं. हाई कोर्ट को तब तक जमानत निरस्त नहीं करनी चाहिए जब तक इस जमानत का दुरुपयोग न किया जाए या अभियुक्त ट्रायल में सहयोग न कर रहा हो. आजम खान की ओर से यह भी कहा गया कि इस मामले में एफआईआर 13 साल बाद दर्ज कराई गई है. इसमें चार्जशीट दाखिल हो चुकी है. इस मुकदमे का ट्रायल चल रहा है. इस स्थिति में जमानत निरस्त करना उचित नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के समक्ष उसी अदालत में जमानत निरस्त कराने की अर्जी देने का विकल्प खुला हुआ है. जिस अदालत ने आजम खान को जमानत दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार की सभी अर्जियां निस्तारित कर दी.

मुकदमा स्थानांतरित करने की मांग नामंजूरः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद आजम खान की ओर से रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट में चल रहे अपने मुकदमों का ट्रायल प्रदेश के किसी अन्य जिले में स्थानांतरित करने की मांग नामंजूर कर दी है. आजम खान ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने सभी मुकदमे दूसरे जिले में स्थानांतरित करने की मांग की थी. हाईकोर्ट ने कहा कि जिस पीठासीन अधिकारी से उनको शिकायत थी उनका स्थानांतरण हो चुका है. अब नए पीठासीन अधिकारी आ गए हैं. इस स्थिति में आजम खान के पास अब कोई शिकायत शेष नहीं है.

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