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प्रयागराज: इंटरनेट बंद करने को लेकर हाईकोर्ट सख्त, राज्य सरकार से मांगा जवाब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इंटरनेट सेवाएं बंद करने के लिए राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 21, 2020, 6:38 PM IST

प्रयागराज: 21 जनवरी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि इंटरनेट सेवाएं बंद करने के क्या कानूनी उपबन्ध हैं. किन परिस्थितियों में इंटरनेट सेवाएं सरकार निलम्बित कर सकती है. कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि सरकार इंटरनेट सेवा रोकने की असामान्य शक्तियों का इस्तेमाल कब कर सकती है. इस मामले पर कोर्ट ने 31 जनवरी तक राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने दिसम्बर माह में सीएए के विरोध के चलते प्रयागराज में इंटरनेट सेवा तीन दिन तक निलम्बित रखने से हाई कोर्ट की कार्यप्रणाली के प्रभावित होने पर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

अचानक इंटरनेट सेवा बंद होने से इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं को दिक्कत झेलनी पड़ी. अधिवक्ताओं ने इंटरनेट सेवा बंद होने से न्याय प्रशासन में व्यवधान उत्पन्न होने की शिकायत मुख्य न्यायाधीश से की. जिस पर कोर्ट ने जनहित याचिका कायम कर राज्य सरकार से जानकारी मांगी थी. कोर्ट ने नियम कानूनी उपबन्धों सहित इंटरनेट सेवा निलम्बित रखने की परिस्थितियों के विस्तृत ब्यौरे के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.


इसे भी पढ़ें - हाईकोर्ट ने आरओ, एआरओ परीक्षा में गैर 'ओ' लेवल अभ्यर्थियों को दी राहत

प्रयागराज: 21 जनवरी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि इंटरनेट सेवाएं बंद करने के क्या कानूनी उपबन्ध हैं. किन परिस्थितियों में इंटरनेट सेवाएं सरकार निलम्बित कर सकती है. कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि सरकार इंटरनेट सेवा रोकने की असामान्य शक्तियों का इस्तेमाल कब कर सकती है. इस मामले पर कोर्ट ने 31 जनवरी तक राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है.

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने दिसम्बर माह में सीएए के विरोध के चलते प्रयागराज में इंटरनेट सेवा तीन दिन तक निलम्बित रखने से हाई कोर्ट की कार्यप्रणाली के प्रभावित होने पर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

अचानक इंटरनेट सेवा बंद होने से इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं को दिक्कत झेलनी पड़ी. अधिवक्ताओं ने इंटरनेट सेवा बंद होने से न्याय प्रशासन में व्यवधान उत्पन्न होने की शिकायत मुख्य न्यायाधीश से की. जिस पर कोर्ट ने जनहित याचिका कायम कर राज्य सरकार से जानकारी मांगी थी. कोर्ट ने नियम कानूनी उपबन्धों सहित इंटरनेट सेवा निलम्बित रखने की परिस्थितियों के विस्तृत ब्यौरे के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.


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कोर्ट ने पूछा ,कब व् किस स्थिति में सरकार बन्द कर सकती है इंटरनेट सेवाएं

राज्य सरकार से मांगा जवाब

प्रयागराज21जनवरी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि इंटरनेट सेवाएं निलम्बित करने के क्या कानूनी उपबन्ध है।और किन दशाओ परिस्थितियों में इंटरनेट सेवाएं सरकार निलम्बित कर सकती है।
कोर्ट ने यह भी जानना चाहा हैकि सरकार  इंटरनेट सेवा रोकने की असामान्य शक्तियों का इस्तेमाल कब कर सकती है।कोर्ट ने 31 जनवरी तक राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने दिसम्बर माह में सी ए ए के विरोध के चलते प्रयागराज में इंटरनेट सेवा तीन दिन तक निलम्बित रखने से हाई कोर्ट की कार्यप्रणाली के प्रभावित होने पर कायम जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
कुछ वकीलो ने इंटरनेट सेवा ठप होने की तरफ कोर्ट का ध्यान आकृष्ट कर निर्देश जारी करने की मांग की थी ।और आरोप लगाया था कि इस सरकारी निर्णय से हाई कोर्ट के न्यायिक कार्य में अवरोध उतपन्न किया गया है।जिसपर कोर्ट ने जनहित याचिका कायम कर राज्य सरकार से जानकारी मांगी थी।कोर्ट ने नियम क़ानूनी उपबन्धों सहित इंटरनेट सेवा निलम्बित रखने की परिस्थितियों के विस्तृत ब्यौरे के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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