प्रयागराज: हाईकोर्ट की रोक के बावजूद नगर पंचायत भानपुर बस्ती का परिसीमन कराने और कोर्ट में अधिसूचना वापस लिए जाने के संबंधी गलत हलफनामा दिए गया. इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात को नोटिस जारी कर कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.
गंगाराम अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता व न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने सुनाया. याची के अधिवक्ता आरपी मिश्रा ने बताया कि राज्य सरकार ने 5 दिसंबर 2019 को अधिसूचना जारी कर कई ग्राम सभाओं को नगर पंचायत भानपुर में शामिल करने का निर्णय लिया. इसमें ग्रामसभा आमा भी शामिल है. इसके विरुद्ध याचिका दाखिल कर अधिसूचना को इस आधार पर चुनौती दी गई, प्रारंभिक अधिसूचना में ग्रामसभा आमा का नाम शामिल नहीं था, जबकि आपत्ति निस्तारण के बाद जारी अंतिम अधिसूचना में ग्रामसभा आमा को भी शामिल कर लिया गया. हाईकोर्ट ने इस तथ्य के मद्देनजर 5 दिसंबर 2019 की अधिसूचना पर रोक लगा दी.
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कोर्ट के इस आदेश की जानकारी होने के बावजूद नगर पंचायत भानपुर के परिसीमन की अधिसूचना जारी कर दी गई, जिसमें ग्रामसभा आमा भी शामिल थी. याची ने इसके खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की तो सरकार की ओर से कहा गया कि उसने 5 दिसंबर 2019 और परिसीमन को लेकर जारी अधिसूचना वापस ले ली है. इस आधार पर अवमानना याचिका कोर्ट ने निस्तारित कर दी. अधिसूचना वापस लिए जाने के आधार पर ही याची ने अपनी याचिका भी वापस ले ली. लेकिन, बाद में उसे पता चला कि सरकार ने 5 दिसंबर 2019 की अधिसूचना को वापस नहीं दिया है सिर्फ 11 जुलाई 2022 को परिसीमन की अधिसूचना को ही वापस लिया गया है. इस पर याची ने अपनी याचिका पुनर्स्थापित करने के लिए अर्जी दाखिल की. कोर्ट ने उक्त के आलोक में याचिका पुनर्स्थापित कर दी. इसके बावजूद राज्य सरकार ने 21 अक्टूबर 2022 को 5 दिसंबर 2019 की अधिसूचना के क्रम में ही फिर से परिसीमन करने की अधिसूचना जारी कर दी.
याची ने कोर्ट के समक्ष यह मामला उठाया तो सरकारी वकील ने इस भूल को सुधारने के लिए समय की मांग की. लेकिन बाद में सरकारी वकील ने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य सरकार 21 अक्टूबर 22 को जारी अधिसूचना के आधार पर ही परिसीमन कराएगी. अदालत ने कहा कि स्पष्ट है कि कोर्ट के आदेश की अवमानना व अवहेलना की जा रही है. कोर्ट ने इस संबंध में प्रमुख सचिव नगर विकास को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है. क्योंकि, न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई प्रारंभ की जाए.