प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि विश्व स्तर पर विचारों के आदान-प्रदान का सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण टूल है. लेकिन किसी को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी पोस्ट कर किसी के सम्मान को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है. सोशल मीडिया पर पोस्ट की जवाबदेही तय होनी चाहिए.
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि विश्व स्तर पर विचारों के आदान-प्रदान का सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण टूल है. लेकिन किसी को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कुछ भी पोस्ट कर किसी के सम्मान को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है. सोशल मीडिया पर पोस्ट की जवाबदेही तय होनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया के दुरूपयोग पर कोर्ट आंख नहीं बंद कर सकती है. सरकार भी इसप मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती. सभ्य समाज की बेहतरी के लिए सोशल मीडिया की अभद्र पोस्ट की निगरानी, नियंत्रण और नियमन किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को सोशल मीडिया के दुरूपयोग पर नियंत्रण के जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ अभद्र और आपत्तिजनक पोस्ट शेयर करने के आरोपी मेहदावल, संतकबीरनगर के समोगर विकास क्षेत्र स्थित प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक नियाज अहमद खान के खिलाफ आपराधिक केस रद्द करने की मांग निरस्त कर दी है.
आदेश देते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा कि बिना ठोस आधार के सोशल मीडिया की पोस्ट समाज को प्रभावित करती है. किसी को दूरसे के सम्मान से खिलवाड़ करने का अधिकार नहीं है. इस पर नियंत्रण होना चाहिए.
पोस्ट करने वाले और पर्दे के पीछे से प्रेरित करने वालों पर कार्रवाई की जाये. ये न्याय व्यवस्था में सहानुभूति पाने के हकदार नहीं हैं. लोगों के अधिकार सुरक्षित किये जाने चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि समाज में स्वस्थ वातावरण बनाये रखने के लिए सरकारें आपत्तिजनक पोस्ट पर नियंत्रण करने के कदम उठाए. कोर्ट ने आदेश की प्रति सचिव सूचना एवं तकनीकी मंत्रालय भारत सरकार और मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश को भेजने का निर्देश दिया है.
मालूम हो कि वरिष्ठ उप निरीक्षक अवधेश पाण्डेय ने 28 नवंबर 2019 को मेंहदावल थाने में एफआईआर दर्ज कराई. जिसमें याची पर आरोप लगाया गया है कि उसने फेसबुक पर प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट शेयर की. जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आतंकी हाफिज सईद से हाथ मिलाते हुए दिखाया गया और लिखा कि भारत का छिपा असली गद्दार कौन?
इसके साथ ही प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को कई न्यूज चैनलों को कुत्ता बताते हुए बिस्कुट खिलाते दिखाया गया. उसमें लिखा गया कि देश की मीडिया का हाल कुछ ऐसा हो गया है. पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और एसीजेएम संतकबीरनगर ने सम्मन जारी किया. जिसकी वैधता को चुनौती दी गई थी.
कोर्ट ने कहा कि सबूतों और तथ्यों पर विचार कर कार्रवाई का अधिकार ट्रायल कोर्ट का है. जिस पर हाईकोर्ट को अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग कर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. प्राथमिकी से संज्ञेय अपराध बनता है. निचली अदालत के आदेश में कोई अनियमितता नहीं है. कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग नहीं किया गया है.
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याची का कहना था कि उसे फंसाया गया है. सर्विलांस रिपोर्ट की तह तक गये बगैर चार्जशीट दाखिल कर दी गई है. अखिलेश यादव समर्थक अनिल शर्मा की पोस्ट को याची पर शेयर करने का आरोप है. कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है.
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