प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने जौनपुर के बक्सा थाना पुलिस (Baksa Police) अभिरक्षा में मौत की जांच सीबीआई को सौंप दी है. कोर्ट ने कहा है कि आईपीएस रैंक के अधिकारी, सीओ की संलिप्तता के आरोपी के चलते पुलिस से निष्पक्ष विवेचना की उम्मीद नहीं की जा सकती. पुलिस अभिरक्षा में क्रूरता से पिटाई से मौत, महत्वपूर्ण साक्ष्यों की अनदेखी, साक्ष्य मिटाने व गढ़ने का प्रयास और प्रभावी लोगों का विवेचना को हाईजैक करने की कोशिश पर निष्पक्ष पारदर्शी जांच करानी जरूरी है.
कोर्ट ने पुलिस को जौनपुर के बक्सा थाने में अभिरक्षा में मौत के साक्ष्य और पेपर सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही सीबीआई और राज्य सरकार से अनुपालन रिपोर्ट मांगी है. याचिका की सुनवाई अब 20 सितंबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने एसओजी टीम इंचार्ज व बक्सा थाना प्रभारी अजय कुमार यादव की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका पर सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश और संजय कुमार यादव ने पक्ष रखा.
मालूम हो कि 24 साल के कृष्णा यादव को पुलिस 11 फरवरी 2021 को घर से पकड़कर ले गयी. रात में घर की तलाशी के दौरान बक्से का ताला तोड़ 60 हजार रुपये और जेवरात पुलिस उठा ले गयी. घरवालों को थाने में मिलने नहीं दिया गया. आरोप है कि पीट-पीटकर उसे मार डाला गया. 12 फरवरी की सुबह पता चला कि कृष्णा यादव की मौत हो गयी है. इस बारे में पुलिस ने फिर झूठी कहानी गढ़ी. पुलिस डायरी में लिखा गया कि मृतक कराह रहा था. पूछने पर उसने बताया कि मोटरसाइकिल की टक्कर से वह घायल हो गया और भीड़ ने उसे जमकर पीटा. इसके बाद उसे स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया. वहां से जिला अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसकी मौत हो गयी.
मृतक के भाई ने आरोप लगाया कि 10-12 पुलिस उसके भाई को घर से ले गई और बुरी तरह से पीट-पीटकर उसकी हत्या कर दी. कोर्ट ने कहा कि अपराध की विवेचना निष्पक्ष होनी चाहिए, दागी नहीं. सही विवेचना ही अपराधी को दंड दिला सकती है. निष्पक्ष, पारदर्शी विवेचना ही सही विचारण का आधार है.
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