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धर्म परिवर्तन मामले में शुआट्स के कुलपति के भाई को मिली जमानत, इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला - शुआट्स कुलपति आरबी लाल

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शुआट्स के कुलपति के भाई की जमानत मंजूर (Shuats Vice Chancellor Brother Bail Granted) कर ली है. कुलपति के भाई के खिलाफ धर्म परिवर्तन के अलावा कई अन्य मामलों में मुकदमा दर्ज किया गया था.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 17, 2024, 9:21 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुआट्स के कुलपति प्रोफेसर आरबी लाल के भाई विनोद बी लाल की धर्म परिवर्तन के मामले में दर्ज मुकदमे में जमानत मंजूर कर ली है. आरबी लाल और विनोद बी लाल सहित कई लोगों के खिलाफ प्रयागराज के घूरपुर थाने में जबरन धर्म परिवर्तन करवाने, पॉक्सो एक्ट, एससी-एसटी एक्ट सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था. इस मामले में पॉक्सो कोर्ट में विनोद बी लाल की जमानत अर्जी न मंजूर कर दी थी. इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाख़िल की. जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र सिंह ने सुनवाई की.

बचाव पक्ष के वकीलों का कहना था कि याची के खिलाफ दुर्भावना के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है. प्रकरण वर्ष 2011 का है, जबकि धर्मांतरण का कानून उसके काफी बाद लागू हुआ है. यह भी कहा गया कि चार्जशीट सिर्फ दो धाराओं में दाखिल की गई है. याची के विरुद्ध दर्ज ज्यादातर आपराधिक मामलों में वह या तो बरी हो चुका है या जमानत पर है.

जमानत याचिका का विरोध कर रहे अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव और अपराध शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय का कहना था कि याची का लंबा आपराधिक इतिहास है. जबरन धर्मांतरण गंभीर अपराध है. मामला जमानत दिए जाने योग्य नहीं है. कोर्ट का कहना था कि याची के विरुद्ध प्रथम दृष्टिया धर्मांतरण का कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है. प्रकरण धर्मांतरण कानून लागू होने के पहले का है. इसके बाद कोर्ट ने विनोद बी लाल को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

मामले के अनुसार, पीड़िता ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2011 में पास्टर राजकरन और डॉक्टर आरबी लाल व विनोद बी लाल आदि ने उसे और उसके पति को अपने स्कूल में नौकरी दिलाने का लालच देकर पूरे परिवार का धर्म परिवर्तन कर दिया. वर्ष 2020 में उसके पति की मृत्यु हो गई. इसके बाद यह लोग उस पर और लोगों का धर्म परिवर्तन करवाने के लिए दबाव बनाने लगे. मना करने पर उसे स्कूल से निकाल दिया गया. उसकी बेटियों को देह व्यापार करने वालों को बेचने की धमकी दी गई. पीड़िता की शिकायत पर 4 सितंबर 2023 को घूरपुर थाने में आईपीसी की धारा 452, 354 ख, 506, धर्म परिवर्तन अधिनियम, पॉक्सो एक्ट और एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया था. जांच के बाद पुलिस ने धर्म परिवर्तन अधिनियम, धारा 506 और एससी-एसटी एक्ट के तहत चार्जसीट दाखिल की थी.

यह भी पढ़ें: हाईकोर्ट में जारी रहेगी श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद की सुनवाई, सभी पक्षों को आपत्तियां दाखिल करने का निर्देश

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बचाव पक्ष के वकीलों का कहना था कि याची के खिलाफ दुर्भावना के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है. प्रकरण वर्ष 2011 का है, जबकि धर्मांतरण का कानून उसके काफी बाद लागू हुआ है. यह भी कहा गया कि चार्जशीट सिर्फ दो धाराओं में दाखिल की गई है. याची के विरुद्ध दर्ज ज्यादातर आपराधिक मामलों में वह या तो बरी हो चुका है या जमानत पर है.

जमानत याचिका का विरोध कर रहे अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव और अपराध शासकीय अधिवक्ता विकास सहाय का कहना था कि याची का लंबा आपराधिक इतिहास है. जबरन धर्मांतरण गंभीर अपराध है. मामला जमानत दिए जाने योग्य नहीं है. कोर्ट का कहना था कि याची के विरुद्ध प्रथम दृष्टिया धर्मांतरण का कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं है. प्रकरण धर्मांतरण कानून लागू होने के पहले का है. इसके बाद कोर्ट ने विनोद बी लाल को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया.

मामले के अनुसार, पीड़िता ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2011 में पास्टर राजकरन और डॉक्टर आरबी लाल व विनोद बी लाल आदि ने उसे और उसके पति को अपने स्कूल में नौकरी दिलाने का लालच देकर पूरे परिवार का धर्म परिवर्तन कर दिया. वर्ष 2020 में उसके पति की मृत्यु हो गई. इसके बाद यह लोग उस पर और लोगों का धर्म परिवर्तन करवाने के लिए दबाव बनाने लगे. मना करने पर उसे स्कूल से निकाल दिया गया. उसकी बेटियों को देह व्यापार करने वालों को बेचने की धमकी दी गई. पीड़िता की शिकायत पर 4 सितंबर 2023 को घूरपुर थाने में आईपीसी की धारा 452, 354 ख, 506, धर्म परिवर्तन अधिनियम, पॉक्सो एक्ट और एससी एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया था. जांच के बाद पुलिस ने धर्म परिवर्तन अधिनियम, धारा 506 और एससी-एसटी एक्ट के तहत चार्जसीट दाखिल की थी.

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