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अपनी हत्या का साजिश रचने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रमोहन शर्मा की जमानत मंजूर - न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी हत्या का साजिश रचने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रमोहन शर्मा की जमानत याचिका मंजूर कर ली है.

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आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रमोहन शर्मा
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Published : Sep 17, 2022, 10:08 PM IST

Updated : Sep 17, 2022, 11:04 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी हत्या का साजिश रचने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रमोहन शर्मा की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति शिवशंकर प्रसाद की खंडपीठ ने सजा के खिलाफ चंद्रमोहन की अपील में दाखिल जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया है.

चंद्रमोहन को हत्या, अपहरण व सबूत नष्ट करने के मामले में सेशन कोर्ट गौतमबुद्ध नगर ने तीन साल पहले सजा सुनाई थी. चंद्रमोहन शर्मा की पत्नी ने ग्रेटर नोएडा में दो मई 2014 को एफआईआर दर्ज कराकर कुछ लोगों पर आरोप लगाया था कि संपत्ति विवाद को लेकर उसके पति की हत्या कर दी गई है. चंद्रमोहन शर्मा की लाश एक जली हुई कार में ग्रेटर नोएडा के स्टेडियम के सामने बरामद की गई थी. कार चंद्रमोहन शर्मा की थी. इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी. आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रमोहन शर्मा हत्याकांड से देशभर में सनसनी फैल गई थी. कुछ लोगों को इस हत्या के लिए गिरफ्तार भी किया गया था.

बाद में पुलिस की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए तो पुलिस बेंगलुरू पहुंची और वहां से चंद्रमोहन शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया. तफ्तीश में पता चला कि चंद्रमोहन शर्मा व उसकी पत्नी के बीच विवाद रहता था. दूसरी ओर चंद्रमोहन शर्मा का एक युवती के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था. चंद्रमोहन उस युवती को लेकर फरार हो गया और खुद की हत्या का स्वांग रचा. इसमें चंद्रमोहन का साथ उसके साले ने भी दिया था. इन लोगों ने ग्रेटर नोएडा के परी चौक से एक अर्धविक्षिप्त व्यक्ति को उठाया. उसे अपनी कार में बैठाकर आग लगा दी. चंद्र मोहन की पत्नी और पुलिस ने यही समझा कि चंद्रमोहन की हत्या कर दी गई है.

जमानत अर्जी में कहा गया कि स्वीकारोक्ति बयान ही अपीलार्थी की दोषसिद्धि का आधार है, उसे साक्ष्य के रूप में नहीं पढ़ा जा सकता है. घटना की कोई स्पष्ट गवाही नहीं है. अभियोजन का मामला पूरी तरह परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर टिका है, जिसमें घटनाओं की श्रृंखला को केवल अपीलार्थी की ओर से अपराध की परिकल्पना का समर्थन करने के लिए शामिल नहीं किया गया है. न तो मृत व्यक्ति की पहचान स्थापित की गई और न ही कोई अन्य साक्ष्य जोड़ा गया है, जो अपीलार्थी को अपराध में फंसा सकता है. पीडब्लू-2 के बयान पर भरोसा किया गया है, जो अग्निशमन सेवा अधिकारी है. उसने पहले जलती हुई कार देखी थी, जिसके अनुसार शॉर्ट सर्किट के कारण कार में आग लग गई थी.

पढ़ेंः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर पद के परिणाम संशोधित करने का दिया आदेश

सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि अपीलार्थी द्वारा जेल में बिताई गई अवधि पर विचार करते हुए यह तथ्य भी है कि यह परिस्थितिजन्य साक्ष्य का मामला है और तर्क यह है कि घटनाओं की श्रृंखला पूरी नहीं है, जिससे अपीलार्थी के अपराध को इंगित किया जा सके. गुण दोष पर टिप्पणी किए बिना चंद्रमोहन जमानत पर रिहा होने का हकदार है. यह भी कहा कि अपीलार्थी की रिहाई के छह सप्ताह के भीतर जुर्माना जमा किया जाएगा.

यह था मामला
ग्रेटर नोएडा में एक मई 2014 की रात क्रिकेट स्टेडियम के सामने एक कार में आग लगी थी. कार अल्फा-2 सेक्टर में रहने वाले चंद्रमोहन शर्मा की थी. कार के अंदर बुरी तरह जल चुकी एक लाश मिली थी. शुरुआती जांच में माना गया था कि चंद्रमोहन शर्मा की कार के अंदर जलकर मौत हो गई है. चंद्रमोहन की पत्नी व आप नेता सविता शर्मा ने कार में जिंदा जलाकर चंद्रमोहन शर्मा की हत्या के आरोप में कासना में रहने वाले कुछ लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अगस्त 2014 में चंद्रमोहन को बेंगलुरू से प्रेमिका के साथ गिरफ्तार किया गया तो पूरे ड्रामे से पर्दा उठा.

पढ़ेंः अनुकंपा नियुक्ति में आश्रित मृतक के समान पद पाने का हकदार : हाईकोर्ट

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी हत्या का साजिश रचने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रमोहन शर्मा की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र एवं न्यायमूर्ति शिवशंकर प्रसाद की खंडपीठ ने सजा के खिलाफ चंद्रमोहन की अपील में दाखिल जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद दिया है.

चंद्रमोहन को हत्या, अपहरण व सबूत नष्ट करने के मामले में सेशन कोर्ट गौतमबुद्ध नगर ने तीन साल पहले सजा सुनाई थी. चंद्रमोहन शर्मा की पत्नी ने ग्रेटर नोएडा में दो मई 2014 को एफआईआर दर्ज कराकर कुछ लोगों पर आरोप लगाया था कि संपत्ति विवाद को लेकर उसके पति की हत्या कर दी गई है. चंद्रमोहन शर्मा की लाश एक जली हुई कार में ग्रेटर नोएडा के स्टेडियम के सामने बरामद की गई थी. कार चंद्रमोहन शर्मा की थी. इसके बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी. आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रमोहन शर्मा हत्याकांड से देशभर में सनसनी फैल गई थी. कुछ लोगों को इस हत्या के लिए गिरफ्तार भी किया गया था.

बाद में पुलिस की जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए तो पुलिस बेंगलुरू पहुंची और वहां से चंद्रमोहन शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया. तफ्तीश में पता चला कि चंद्रमोहन शर्मा व उसकी पत्नी के बीच विवाद रहता था. दूसरी ओर चंद्रमोहन शर्मा का एक युवती के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था. चंद्रमोहन उस युवती को लेकर फरार हो गया और खुद की हत्या का स्वांग रचा. इसमें चंद्रमोहन का साथ उसके साले ने भी दिया था. इन लोगों ने ग्रेटर नोएडा के परी चौक से एक अर्धविक्षिप्त व्यक्ति को उठाया. उसे अपनी कार में बैठाकर आग लगा दी. चंद्र मोहन की पत्नी और पुलिस ने यही समझा कि चंद्रमोहन की हत्या कर दी गई है.

जमानत अर्जी में कहा गया कि स्वीकारोक्ति बयान ही अपीलार्थी की दोषसिद्धि का आधार है, उसे साक्ष्य के रूप में नहीं पढ़ा जा सकता है. घटना की कोई स्पष्ट गवाही नहीं है. अभियोजन का मामला पूरी तरह परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर टिका है, जिसमें घटनाओं की श्रृंखला को केवल अपीलार्थी की ओर से अपराध की परिकल्पना का समर्थन करने के लिए शामिल नहीं किया गया है. न तो मृत व्यक्ति की पहचान स्थापित की गई और न ही कोई अन्य साक्ष्य जोड़ा गया है, जो अपीलार्थी को अपराध में फंसा सकता है. पीडब्लू-2 के बयान पर भरोसा किया गया है, जो अग्निशमन सेवा अधिकारी है. उसने पहले जलती हुई कार देखी थी, जिसके अनुसार शॉर्ट सर्किट के कारण कार में आग लग गई थी.

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सुनवाई के बाद खंडपीठ ने कहा कि अपीलार्थी द्वारा जेल में बिताई गई अवधि पर विचार करते हुए यह तथ्य भी है कि यह परिस्थितिजन्य साक्ष्य का मामला है और तर्क यह है कि घटनाओं की श्रृंखला पूरी नहीं है, जिससे अपीलार्थी के अपराध को इंगित किया जा सके. गुण दोष पर टिप्पणी किए बिना चंद्रमोहन जमानत पर रिहा होने का हकदार है. यह भी कहा कि अपीलार्थी की रिहाई के छह सप्ताह के भीतर जुर्माना जमा किया जाएगा.

यह था मामला
ग्रेटर नोएडा में एक मई 2014 की रात क्रिकेट स्टेडियम के सामने एक कार में आग लगी थी. कार अल्फा-2 सेक्टर में रहने वाले चंद्रमोहन शर्मा की थी. कार के अंदर बुरी तरह जल चुकी एक लाश मिली थी. शुरुआती जांच में माना गया था कि चंद्रमोहन शर्मा की कार के अंदर जलकर मौत हो गई है. चंद्रमोहन की पत्नी व आप नेता सविता शर्मा ने कार में जिंदा जलाकर चंद्रमोहन शर्मा की हत्या के आरोप में कासना में रहने वाले कुछ लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अगस्त 2014 में चंद्रमोहन को बेंगलुरू से प्रेमिका के साथ गिरफ्तार किया गया तो पूरे ड्रामे से पर्दा उठा.

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Last Updated : Sep 17, 2022, 11:04 PM IST
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