प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अपनी पसंद से विवाह करने वाले बालिग जोड़े को इस शर्त पर सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया है कि वह अपने विवाह का पंजीकरण 2 माह के भीतर उत्तर प्रदेश मैरिज रजिस्ट्रेशन रूल्स के तहत करा लेंगे. यदि वह ऐसा नहीं करते हैं तो कोर्ट द्वारा दिया गया सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश स्वतः समाप्त माना जाएगा.
न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल (Justice Piyush Agrawal) ने स्वाति व अन्य की याचिका पर यह आदेश दिया है. याची गण का कहना था कि वह दोनों बालिग हैं और उन्होंने अपनी पसंद से विवाह किया तथा पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे हैं. मगर उनके परिवार के लोग इससे खुश नहीं है. आशंका है कि वह अपने सम्मान के लिए उनकी हत्या करवा सकते हैं.
कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने तमाम निर्णयों में कहा है कि यदि एक लड़का और लड़की बालिग है तथा अपनी मर्जी से साथ रहना चाहते हैं तो किसी को भी उस में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. यहां तक कि उनके माता-पिता को भी हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि याची गण अपने जिले के पुलिस अधीक्षक से संपर्क करें तथा इस आदेश की प्रति मुहैया कराएं और पुलिस अधीक्षक उनको तत्काल सुरक्षा उपलब्ध कराएं. मगर यह भी शर्त लगाई है कि याची गण अपने विवाह का पंजीकरण आदेश की तिथि से 2 माह के भीतर करा लेंगे यदि ऐसा नहीं करते हैं तो हाईकोर्ट का आदेश पता समाप्त माना जाएगा